जगजीत सिंह पुण्यतिथि : गार्ड को घूस देकर थिएटर में देखते थे फिल्में! जानें गज़ल के ‘बादशाह’ से जुड़े FACTS

संगीत की दुनिया में एक नाम जो हमेशा अमर है- ‘जगजीत सिंह’ की आज पुण्यतिथि है। गजल के बादशाह जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को बीकानेर के श्रीगंगानगर में हुआ। जगजीत की गजलों ने न सिर्फ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इजाफा किया बल्कि गालिब, मीर, मजाज, जोश और फफिराक जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। जगजीत सिंह को सन 2003 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फरवरी 2014 में आपके सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए। 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। आज गजल की दुनिया के महान कलाकार जगजीत सिंह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी मधुर और सदाबहार आवाज हमेशा हमारे साथ हैं।

जगजीत सिंह ने अपनी शुरूआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में पूरी की। बाद में वह पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। बहुतों की तरह जगजीत जी का पहला प्यार भी परवान नहीं चढ़ सका। अपने उन दिनों की याद करते हुए वे कहते हैं, ”एक लड़की को चाहा था। जालंधर में पढ़ाई के दौरान साइकिल पर ही आना-जाना होता था। लड़की के घर के सामने साइकिल की चैन टूटने या हवा निकालने का बहाना कर बैठ जाते और उसे देखा करते थे।

बाद मे यही सिलसिला बाइक के साथ जारी रहा। पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी। कुछ क्लास मे तो दो-दो साल गुजारे.” जालंधर में ही डीएवी कॉलेज के दिनों गर्ल्स कॉलेज के आसपास बहुत फटकते थे। एक बार अपनी चचेरी बहन की शादी में जमी महिला मंडली की बैठक में जाकर गीत गाने लगे थे। पूछे जाने पर कहते हैं कि सिंगर नहीं होते तो धोबी होते। पिता के इजाज़त के बगैर फिल्में देखना और टाकीज में गेट कीपर को घूंस देकर हॉल में घुसना उनकी आदत थी।

 

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