जज लोया केस: भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने तोड़ी चुप्‍पी, बोले- मुझे निशाना बनाया जा रहा है

जस्टिस लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने वालों की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दो दिन बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ी है। उनका कहना है कि,’उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।’ अपने बयान में अ​मित शाह ने कहा कि,’ मुझ पर सोहराबुद्दीन, इशरत जहां एनकाउंटर केस और जस्टिस लोया की मौत के मामले में न जाने कितने आरोप लगाए गए। लेकिन इस सभी मामलों में न्यायिक और अदालती समीक्षा के बाद मुझे हर आरोप से बरी किया गया है।’ जब अमित शाह से सवाल किया गया कि वह इस पर क्या सोचते हैं कि आखिरकार उन्हें ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? इस पर शाह ने जवाब दिया कि,’ मुझे इसका कारण नहीं पता है। मैंने कभी कांग्रेस पार्टी से इसका कारण नहीं पूछा। वे क्यों इस तरह का षडयंत्र करते हैं, अगर मीडिया चाहे तो ये सवाल कांग्रेस पार्टी से पूछ सकती है।’

जस्टिस बीएच लोया की मौत पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विपक्ष द्वारा नकारने पर भी अमित शाह ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि, हालांकि पहले ही मैंने कहा था कि जज लोया का ये मामला पूरी तरह से निराधार है। लेकिन फिर भी इस केस में मेरे ऊपर आरोप मढ़ दिए गए। फिर से केस सुप्रीम कोर्ट में गया, जहां इस मामले पर 10 दिन तक सुनवाई चलती रही। इस फैसले को तीन जजों की बेंच ने सुनाया था। इसके बाद भी विपक्ष इसे स्वीकार नहीं कर रहा है। आपको किसी ​मामले पर तो फैसला स्वीकार कर लेना चाहिए।’

बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत की जांच की याचिका पर फैसला दिया था। अपने फैसले में कोर्ट ने इसे संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अब कोई भी स्वतंत्र जांच नहीं की जाएगी। याचिका में उनकी मृत्यु सामान्य होने की बात को चुनौती दी गई थी। हालांकि कोर्ट ने पाया कि जस्टिस लोया की सामान्य मौत की बात में कोई भी विषमता नहीं थी।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि जस्टिस लोया के साथ हर वक्त चार जज लगातार बने हुए थे, जिससे किसी भी संदिग्ध स्थिति का पता नहीं चलता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी प्रेरित याचिकाओं को हतोत्साहित किए जाने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *