जज लोया मौत मामला: सुप्रीम कोर्ट अपने ही फैसले पर विचार को तैयार, फिर से हो सकती है जांच?

जस्टिस बीएच लोया की मौत की जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार कर सकती है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बॉम्बे वकील एसोसिएशन द्वारा याचिका दायर करने के बाद कोर्ट ने 19 अप्रैल को अपने सुनाए गए फैसले पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले की सुनावाई खुले में न कर, प्राइवेट चैम्बर में करने का फैसला किया है। बता दें कि 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि जज लोया की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी। किसी तरह की संदिग्ध परिस्थति नहीं थी और इसमें आगे किसी तरह की जांच की आवश्यकता नहीं है। गौर हो कि सीबीआई के स्पेशल जज लोया की कार्डियक अरेस्ट की वजह से वर्ष 2014 में मौत हो गई थी। वे उस समय एक हत्या के मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह नामजद थे। इसके बाद उनके स्थान पर केस की सुनावाई करने वाले जज ने कहा कि अमित शाह पर ट्रायल चलाने के लिए प्रर्याप्त सबूत नहीं थे।
पिछले साल जस्टिस लोया के परिवारवालों ने यह आरोप लगाया कि वे डरे हुए थे। उनकी मौत संदिग्ध परिस्थतियों में हुई। परिवारवालों द्वारा लगाए गए इस आरोप ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया और जस्टिस लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग उठी। वहीं, इस साल जनवरी महीने में जस्टिस लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा कि उनके परिवार को मौत को लेकर कोई संदेह नहीं है। अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की याचिका को ‘लज्जाजनक’ और ‘न्यायपालिका पर हमला’ बताया था। साथ ही कहा था कि इस याचिका न्यायिक संस्थानों की विश्वसनीयता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
जस्टिस लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की याचिका दाखिल करने वालों में से एक बाम्बे वकील ऐसोसिएशन ने कहा था कि, “वह फैसले का अध्ययन करेगा और कानूनी उपचार का पता लगाएगा।” अब सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी समीक्षा याचिका में ऐसोसिएशन के द्वारा कहा गया है कि, “अदालत फिर से अपने उस फैसले पर विचार करे जिसमें कहा गया था कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और आगे जांच की जरूरत नहीं है। साथ ही कोर्ट अपने फैसले से उन निष्कर्षों को हटाए, जिसमें याचिक को खारिज करते हुए कहा गया था कि यह न्यायापालिका की आजादी पर हमला है। न्यायिक संस्थानों की विश्वसनीयता कम करने का प्रयास है।” बता दें कि जस्टिस लोया की मौत की जांच को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार पर काफी हमलावर रहीं थी। राष्ट्रपति से मिलकर ज्ञापन सौंप एसआइटी जांच करने की मांग की थी। कहा था कि उन्हें सीबीआई या एनआईए की जांच पर भरोसा नहीं है।