जब गाड़ी की बनावट बदलें
आजकल युवाओं में मोटरसाइकिलों और कारों की बनावट बदल कर चलाना फैशन का रूप ले चुका है। गाड़ियों के हॉर्न और पहिए बदलना तो आम बात है, उनकी मूल संरचना को बदल कर किसी महंगी और विदेशी गाड़ी जैसा रंग-रूप देना, उन पर कलात्मक डिजाइन करवा लेना, उन्हें शिकारी या रेस में हिस्सा लेने वाली गाड़ियों की धज में पेश करना शगल बनता जा रहा है। मगर किसी भी गाड़ी की मूल बनावट और संरचना के साथ कितना मुफीद हो सकता है, उसके क्या-क्या खतरे हो सकते हैं, बता रहे हैं रवि डे।
सबसे बड़े और स्पोर्ट वाहनों का चलन बढ़ा है, युवाओं में उनके प्रति आकर्षण भी बढ़ा है। मगर बजट में न होने की वजह से बहुत से युवा या उनके परिजन उन्हें खरीद पाने में अक्षम होते हैं। इसलिए सामान्य मोटरसाइकिलों और कारों की बनावट में बदलाव करके बड़े और तेज रफ्तार वाहनों जैसा दिखने लायक बनवा लेते हैं। दिल्ली में दस-बारह हजार रुपए खर्च करके साधारण मोटरसाइकिल को मनचाहे और आकर्षक रंग-रूप में बदला जा सकता है। इसी तरह जीप और कारों की बनावट, पहिए, उनका रंग वगैरह बदल कर कलात्मक और आलीशान रूप दिया जा सकता है। दिल्ली और दूसरे महानगरों में गाड़ियों की साज-सज्जा बदलने यानी मॉडीफिकेशन करने वाले अनेक जगहों पर मिल जाएंगे। इसके लिए बाजारों में तरह-तरह के साज-सज्जा के सामान उपलब्ध हैं। गाड़ियों में मॉडीफिकेश्न करने वाले अपने ग्राहकों से इस तरह पेश आते हैं, जैसे वे सारा काम कानूनी रूप से कर रहे हैं। वे इंजन और चेसिस को छोड़ कर हर हिस्से में तोड़-फोड़ कर वाहन को आपके मनचाहे आकार और रंग में पेश कर देते हैं।