जब बाल ठाकरे ने पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियां दाद की तारीफ में पढ़े थे कसीदे, विरोधी रह गए थे सन्न
शिव सेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे की जयंती पर साल 2019 में 23 जनवरी को एक फिल्म रिलीज होने वाली है। फिल्म का नाम ‘ठाकरे’ है। इसे बाला साहब की बायोपिक कहा जा रहा है। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बाला साहब ठाकरे का रोल किया है। उनका गेटअप बिल्कुल बाल ठाकरे जैसा ही है। 1980 से 90 के दशक में बाल ठाकरे मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसे सितारे थे जिनके एक आदेश पर शिव सैनिक जान देने और लेने को उतारू हो जाते थे। ठाकरे उग्र हिन्दूवादी राजनेता थे। उन्होंने ‘मी मुंबइकर’ और मराठा मानुष का आंदोलन चलाया था। ‘मी हिन्दू’ कह उत्तेजित करने वाले बयान देने की वजह से उन्हें साम्प्रदायिक नेता कहा जाता था। बावजूद इसके उन्होंने महाराष्ट्र से लेकर नई दिल्ली तक राजनीतिक विस्तार करते हुए अपना कद विराट बना लिया था। यही वजह है कि जब उनकी जिंदगी पर आधारित एक किताब का लोकार्पण हो रहा था तब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर धुर विरोधी और मराठा छत्रप कहे जाने वाले शरद पवार भी वहां मौजूद थे।
बाल ठाकरे को घोर साम्प्रदायिक और पाकिस्तान विरोधी कहा गया लेकिन जब पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियां दाद बाला साहब ठाकरे से मिलने पहुंचे तो उन्होंने पाकिस्तानी अतिथि को वही प्यार और स्नेह दिया जो वो किसी हिन्दू अतिथि को देते थे। इंडिया टीवी के मुताबिक तब जावेद मियांदाद ने एक इंटरव्यू में कहा था, “जब मैं बाला साहब ठाकरे से मुंबई आकर मिला तो, वैसा कुछ भी नजर नहीं आया, जैसा कि पहले से प्रचार किया जाता रहा है।” मियांदाद ने कहा था कि बाला साहब क्रिकेट को बहुत पसंद करते हैं और शारजाह में उनके परफॉर्मेंस से काफी खुश थे। बाला साहब ने भी इंटरव्यू में कहा था, “मैं क्यों अच्छे खिलाड़ियों का विरोध करूं। मैंने इनका खेल देखा है, उन्होंने 1986 में भारत-पाकिस्तान फाइनल मैच के दौरान शारजाह में जो सिक्सर मारा था, वह काबिले तारीफ है। एक गेंद पर चार रन की जरूरत थी और जावेदजी ने छक्का जड़कर मैच पाकिस्तान के नाम कर लिया था। इन्होंने तो कमाल कर दिया था।”
बाला साहब ठाकरे ने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने ताउम्र वही किया जो वो चाहते थे। उन्होंने गांधी-नेहरू परिवार का विरोध किया। जब सोनिया गांधी के देशी-विदेशी होने का मुद्दा उठा तो उन्होंने सोनिया का भी विरोध किया। मगर यह बात कम लोगों को ही पता है कि विरोधी होने के बावजूद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बाल ठाकरे की प्रतिभा का सम्मान करते थे। इंडिया टीवी के मुताबिक, एक बार जब बाल ठाकरे ने पीएम नेहरू पर कार्टून बनाया था तब नेहरू उससे काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने बाल ठाकरे से मुलाकात कर उनके उस कार्टून पर ऑटोग्राफ भी दिया था।
दरअसल, बाल ठाकरे बचपन से ही मेधावी थे। बचपन में ही अखबार में कार्टून देखकर वो खुश होते थे। उनकी इस प्रतिभा को उनके पिता ने पहचाना और बाल ठाकरे को कार्टून बनाने के लिए प्रेरित किया। पिता ने इसके लिए पेंसिल, कूची और पेंटिग भी लाकर दी थी। बाद में ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत बतौर कार्टूनिस्ट की थी।