…जब मोदी राज में कुलदीप नैयर ने लिखा था- मीडिया खुद से सत्ता के साथ हो गया है
वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और मानवाधिकार कार्यकर्ता कुलदीप नैयर 22 अगस्त की रात को अंतिम सांस ली। उन्हें प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। कुलदीप नैयर आपातकाल से लेकर अंतिम सांस तक मीडिया की स्वतंत्रता के पक्षधर रहे। आपातकाल के 40 वर्ष पूरा होने पर उन्होंने 25 जून, 2015 को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख के जरिये भी इसे स्पष्ट किया था। दिवंगत पत्रकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में मीडिया के तौर-तरीकों पर तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने लिखा था, ‘मौजूदा समय के प्रेस के अनुगामी रवैये को देखते हुए मैं नहीं समझता कि सरकार को संविधान से इतर जाकर कुछ करने की जरूरत है। अखबार और टीवी चैनल्स खुद ही इस हद तक सत्ता के समर्थक बन चुके हैं कि उन्हें रास्ते पर लाने के लिए सरकार को कुछ भी करने की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सॉफ्ट हिंदुत्व के गिरफ्त में जाने पर भी चिंता जताई थी।
…तो इन्होंने दिया था ‘इंदिरा इज इंडिया’ का नारा: कुलदीप नैयर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दिनों को भी याद किया। उन्होंने लिखा था, ‘यशपाल कपूर न केवल इंदिरा गांधी के सलाहकार थे, बल्कि मुखबिर भी थे। कपूर ने ही ‘देश की नेता इंदिरा गांधी’ का नारा दिया था। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डीके. बरुआ ने इस स्लोगन को सुधारते हुए ‘इंदिरा इज इंडिया’ कर दिया था। इंदिरा के समर्थकों ने देश भर में चाटुकारिता का एक माहौल बना दिया था। यह बहुत कुछ ‘एडोल्फ हिटलर इज जर्मनी एंड जर्मनी इज एडोल्फ हिटलर’ की तरह था। नाजीवाद के समय युवाओं को इस स्लोगन के साथ ही शपथ दिलाई जाती थी।’
आडवाणी के मशहूर बयान का भी किया उल्लेख: दिवंगत पत्रकार ने 3 साल पहले लिखे लेख में आपातकाल के दौरान प्रेस के हालात पर लालकृष्ण आडवाणी की टिप्पणी का भी उल्लेख किया था। साथ ही बताया था कि उन्होंने किन परिस्थितियों में वह बयान दिया था। कुलदीप नैयर ने लिखा था, ‘इंदिरा गांधी द्वारा उठाए कदम डराने वाले थे ही, लेकिन उससे भी ज्यादा दुखद पत्रकारों का बिखरना था। उस वक्त जन संघ के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था, ‘उन्होंने आपसे झुकने के लिए कहा था, लेकिन आप तो रेंगने लगे।’ पत्रकारों को साहस और संघर्ष का परिचय देना चाहिए था।’