जब लैब असिस्टेंट से रातों-रात एक्टर बन गए थे अशोक कुमार
हिंदी सिनेमा जगत में दादा मुनि के नाम से मशहूर एक्टर अशोक कुमार का फिल्म इंड्रस्टी में किया योगदान आखिर कौन भुला सकता है। 80 और 90 के दशक में अशोक कुमार का फिल्मों में सिगार फूंकते और मुस्कुराते हुए शख्स का किरदार दर्शकों के लिए जैसे फिल्मों का एक जाना पहचाना और अपनापन वाला सहज चरित्र हो गया था। अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। सभी जानते हैं कि अशोक कुमार पहले एक्टर नहीं बनना चाहते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं अशोक कुमार एक लेबोरेट्री में लैब असिस्टेंट का काम करते थे? नहीं जानते तो कोई बात नहीं चलिए आज हम बताते हैं।
एक्टर बनने से पहले अशोक कुमार ने साइंस में ग्रेजुएशन की थी और वो न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम करते थे। न्यू थिएटर मे लेबोरेट्री असिस्टेंट का काम करते-करते ही अशोक कुमार को अचानक अपनी पहली फिल्म का ऑफर मिला था।
सभी जानते हैं कि अशोक कुमार का फिल्मी दुनिया में कदम रखना भी इत्तेफाक था। सन् 1936 में बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो की फिल्म ‘जीवन नैया’ के नायक नज्म उल हसन अचानक बीमार पड़ गए थे तब स्टूडियो के मालिक हिमांशु राय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अब करें तो क्या करें।
तब हिमांशु राय की नजर लैबोरेटरी असिस्टेंट अशोक कुमार पर पड़ी और उन्होंने अशोक कुमार को फिल्म में लीड रोल ऑफर किया। अशोक कुमार ने हिमांशु राय का ये ऑफर एक्सेप्ट कर लिया और यही से अशोक कुमार का फिल्मी करियर शुरू हुआ था।