जब विपक्ष में थे तब जज के महाभियोग के समर्थन में अरुण जेटली ने दिए थे तर्क, सीताराम येचुरी ने शेयर किया वीडियो
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने के मुद्दे पर नए सिरे से विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने सीजेआई को पद से हटाने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव लाने को लेकर उच्च सदन के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को नोटिस दिया था। कानूनविदों से सलाह-मशवरे के बाद उन्होंने विपक्ष के नोटिस को खारिज कर दिया। यह विपक्षी दलों को नागवार गुजरा है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया है। इसमें ऊपरी सदन के तत्कालीन विपक्ष के नेता और मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कलकत्ता हाई कोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस सौमित्र सेन को पद से हटाने को लेकर लाए गए प्रस्ताव पक्ष में दलीलें दे रहे हैं। माकपा नेता ने लिखा, ‘जब अरुण जेटली ने महाभियोग के नोटिस पर जताई गई आपत्तियों का जवाब दिया था। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आज (सोमवार 23 अप्रैल) वही आपत्ती उठाई है।’ मालूम हो कि राज्यसभा में वर्ष 2011 में जस्टिस सौमित्र सेन को पद से हटाने का प्रस्ताव लाया गया था, जिसे पारित कर दिया गया था। प्रस्ताव के लोकसभा में जाने से पहले ही जस्टिस सेन ने इस्तीफा दे दिया था।
जस्टिस सौमित्र सेन को पद से हटाने के लिए राज्यसभा में हुई बहस में जेटली ने भी हिस्सा लिया था और येचुरी के तर्कों से सहमति जताते हुए माकपा नेता के प्रस्ताव के पक्ष में मजबूत दलीलें दी थीं। उस वक्त जेटली ने कहा था, ‘यह साबित कदाचार का उपयुक्त उदाहरण है। ऐसे में संबंधित जज को पद से हटाया जाना चाहिए और इस आशय का प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति के पास भेजा जाना चाहिए। लिहाजा, मैं सीताराम येचुरी के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं।’ बता दें कि जस्टिस सेन पहले ऐसे न्यायाधीश थे, जिनके खिलाफ राज्यसभा ने प्रस्ताव पारित किया था। उन पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया गया था। लोकसभा में उनको हटाने के प्रस्ताव पर बहस शुरू होने से पहले ही उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। उन्होंने किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोपों से स्पष्ट तौर पर इनकार किया था। इस बार कांग्रेस की अगुआई में वामपंथी दलों समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने सीजेआई को पद से हटाने को लेकर राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया था। उपराष्ट्रपति ने सीजेआई के खिलाफ ठोस तथ्य न होने का हवाला देते हुए नोटिस पर विचार करने से इनकार कर दिया।