…जब शिवजी के तेज से पैदा हुआ जलंधर पार्वती को ही करने लगा परेशान, जानिए कैसे देवताओं ने पाया छुटकारा
भगवान शिव और पार्वती जी से जुड़े हुए तमाम प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है पार्वती द्वारा शिव से धरती पर भगवान के अवतार की वजह पूछे जाने का प्रसंग। जी हां, श्रीमद् देवी भागवत् पुराण में इस प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके मुताबिक पार्वती द्वारा उपरोक्त सवाल पूछे जाने पर शिव ने कहा था कि इसकी एक नहीं बल्कि कई सारी वजहें हैं। इस बात को स्पष्ट करने के लिए शिव जी ने पार्वती को जलंधर से जुड़ा हुआ एक किस्सा सुनाया था। बता दें कि जलंधर को शिव जी का ही पुत्र बताया जाता है। ऐसा कहते हैं कि शिव जी द्वारा अपना तेज समुद्र में फेंके जाने से जलंधर की उत्पत्ति हुई थी।
इस प्रसंग के मुताबिक जलधंर का विवाह वृंदा नाम की महिला से हुआ था। वृंदा अत्यन्त पतिव्रता महिला थी। ऐसे में जलंधर को हरा पाना देवी-देवताओं के लिए भी कठिन हो गया था। जलंधर को इस बात का काफी अभिमान हो गया और वह देवताओं को पत्नियों को सताने लगा। पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जलंधर लक्ष्मी जी को विष्णु जी से छीन लेना चाहता था। लेकिन लक्ष्मी ने उससे कहा कि हम दोनों ही जल से बने हैं, इसलिए हम भाई-बहन हुए। इसके बाद जलंधर ने पार्वती जी को भी काफी परेशान किया।
कहते हैं कि जलंधर की हरकतों से परेशान होकर देवताओं ने एक योजना बनाई। इसके मुताबिक विष्णु जी ने जलंधर का रूप धारण किया और वृंदा के पास पहुंच गए। ऐसे में वृंदा उनके साथ अपने पति जैसा ही बर्ताव करने लगी। इससे वृंदा की पतिव्रता टूट गई। इसके बाद देवता जलंधर का वध करने में सफल हुए। इस प्रसंग के जरिए शिव जी ने पार्वती को बताया कि देवाओं और मनुष्यों की रक्षा के लिए और अन्य कई अवसरों पर भगवान को धरती पर अवतार लेना पड़ता है।