जब संसद में रो पड़े थे सोमनाथ चटर्जी, स्पीकर पद से इस्तीफा नहीं दिया तो पार्टी ने कर दिया था बाहर

लोक सभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का निधन हो गया है। वो 89 साल के थे। साल 2008 में जब यूपीए-1 के शासनकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया था, तब सरकार को समर्थन दे रहे वाम दलों ने इसका विरोध किया था और सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। तब संसद का दो दिनों (21 और 22 जुलाई, 2008) का विशेष सत्र बुलाया गया था। उस समय सोमनाथ चटर्जी 14वीं लोकसभा के स्पीकर थे और सीपीआई (एम) के सांसद थे। पार्टी ने उन्हें लोकसभा अध्यक्ष पद छोड़ने को कहा था लेकिन चटर्जी ने ऐसा नहीं किया। मनमोहन सिंह सरकार 19 वोट के अंतर से अविश्वास प्रस्ताव जीत गई थी लेकिन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी अपनी ही पार्टी में हार चुके थे, सभी के दुश्मन बन चुके थे। पार्टी ने उन्हें 23 जुलाई को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

इस घटनाक्रम से सोमनाथ चटर्जी काफी दुखी हो गए। उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी लेकिन पार्टी के सांसदों के निशाने पर अब भी थे। अक्सर लोकसभा में पार्टी के सांसद उन पर निशाना साधते और उनके आदेशों की अवहेलना करते। सांसदों की इस कार्रवाई से सख्त मिजाज सोमनाथ चटर्जी जिन्हें संसद सदस्य सम्मान से दादा कहा करते थे, इतने दुखी हो गए थे कि वो अपने आंसू रोक नहीं पाए। वो लोकसभा में ही रो पड़े थे। 23 अक्टूबर 2008 को सोमनाथ चटर्जी ने काफी भावुक होकर और नम आंखों से अपने दर्द-ए-दिल का इजहार किया था। हालांकि, यह चौथा वाकया था जब पार्टी से बाहर किए जाने के बाद सोमनाथ चटर्जी का दर्द छलका था। तब वाम दलों के नेताओं ने आरोप लगाया था कि दादा लेफ्ट को टारगेट कर रहे हैं।

बता दें कि सोमनाथ चटर्जी 10 बार लोकसभा के सांसद रहे। वो पेशे से वकील थे और बैरिस्टर थे। राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने साल 1968 में सीपीआई (एम) के साथ की थी। वो चालीस साल तक यानी 2008 तक इस पार्टी से जुड़े रहे। दादा पहली बार 1971 में सांसद चुने गए थे। 1996 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से भी नवाजा जा चुका था।

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