जस्टिस कुरियन ने चीफ जस्टिस दीपक को लिखी केंद्र सरकार के खिलाफ चिट्ठी- इतिहास माफ नहीं करेगा

सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी न देने पर जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि अगर कोलीजियम के प्रस्ताव को दबाकर बैठी सरकार के खे खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिक्रिया नहीं दी तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। वह उच्चतम न्यायालय के न्याधीशों की नियुक्ति के लिए वरिष्ठ वकील इंदू मल्होत्रा, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की फरवरी में कॉलेजियम के फैसले की बात कर रहे थे।

कठोर शब्दों में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से अपील करते हुए लिखा-सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी सिफारिश में तीन महीने में क्या हुआ, किसी को खबर ही नहीं है। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश से सात सबसे वरिष्ठ जजों की बेंच गठित कर जजों की नियुक्ति के लिए प्रस्तावित नामों पर एक्शन लेने की मांग की। जस्टिस कुरियन ने मुख्य न्यायाधीश से अविलंब इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंन कहा कि जब सामान्य डिलीवरी से बच्चा पैदा नहीं होता तो ऑपरेशन करना पड़ता है।

अगर ऑपरेशन समय पर नहीं होता तो बच्चा मर जाता है। नवंबर में रिटायर होने जा रहे जस्टिस जोसेफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और सम्मान का दिन प्रतिदिन क्षरण होता जा रहा है। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र को सुप्रीम कोर्ट के 22 अन्य जजों को भेजा है। उसमें लिखा है कि कॉलेजियम से भेजे गए नामों को कॉल करने का कर्तव्य सरकार का है, मगर इसे लंबित रखना सत्ता का दुरुपयोग है। जस्टिस ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता के खिलाफ है। कहा कि इससे गलत संदेश जा रहा है। उत्तराखंड हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश रहते केएम जोसेफ ने अप्रैल 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन के फैसले को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ फैसला दिया था। माना जा रहा है कि इसी नाते सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के लिए उनके नाम की सिफारिश को सरकार लटकाए हुए है।

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