जहरीली हवा से ताजमहल की खूबसूरती को खतरा

शहर में लोगों के साथ साथ जहरीली हवा संगमरमरी हुस्न को भी बदरंग करने लगी है। डेढ़ साल से ताजमहल के पीलेपन को दूर करने के लिए पुरातत्व विभााग द्वारा चलाए जा रहे मडपैक ट्रीटमेंट के बाद स्मॉग ने ताज की चमक फीका कर दिया है। धूल और प्रदूषक तत्वों की मोटी परत ताजमहल पर जमा हो गई है, जिसका असर यदि बारिश नहीं हुई तो जल्द ही ताज पर दिखाई देने लगेगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स ने आगरा में 449 का खतरनाक आंकड़ा छू लिया है।

ताजमहल पर पर्टिकुलेट मैटर (पीएम-2.5) की मात्रा क्रमश: 373, 407 और 428 रही है। जब कि सामान्य तौर पर पीएम 2.5 कणों की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होनी चाहिए, लेकिन यह आठ गुना तक ज्यादा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण ताजमहल पर धूल कणों की भाारी मात्रा मुख्य गुंबद पर जमा हो रही है। वहीं हाल में ही चमकाई गई मीनारों, आर्च और मुख्य गुंबद की दीवारों पर धूल कणों के साथ कार्बन के कण भाी एकत्र हो रहे हैं।

वहीं इस संबध में अधीक्षण पुरातत्व रसायन शाखा डॉ. एम कुमार भाटनागर ने बताया कि ताजमहल के संगमरमर पर धूल के कणों और प्रदूषक तत्वों की मात्रा जमा होने से इसके रंग पर तो असर पड़ेगा ही, कणों के टकराने से क्षरण भाी होगा। बारिश न होने पर धूल मिट्टी ताज पर जमा हो जाएगी जो इसे नुकसान पहुंचाती है। ताज को इससे बचाव के उपाय अमल में लाए जा रहे हैं।

 

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