जानवरों के भी इंसानों जैसे हक और कर्तव्य: हाई कोर्ट
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने एक अहम फैसले में कहा है कि सभी जानवरों के भी इंसानों जैसे अधिकार हैं और कानूनी तौर पर उनके भी अधिकार, कर्तव्य और उत्तरदायित्व हैं। बता दें कि कोर्ट का यह फैसला पक्षियों और जलीय जीवों पर भी लागू होता है। जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस लोकपाल सिंह की बेंच ने अपने इस फैसले के तहत उत्तराखंड राज्य के सभी निवासियों को इन जानवरों का अभिभावक बनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सरकार जानवरों को क्रूरता से बचाने के लिए सोसाइटियों का गठन करे और हर जिले में उनकी देखभाल के लिए केन्द्र स्थापित करें, साथ ही जगह जगह जानवरों के लिए उपयुक्त आकार के शेड बनाए जाए।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने 57 पेज के इस आदेश में यह भी कहा है कि नुकीली झड़ियों और चाबुक, जो कि जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं, उन पर रोक लगायी जाए। अदालत ने 2009 के एनीमल एक्ट के तहत जानवरों को विभिन्न संक्रमित बीमारियों से बचाने के लिए वेटरनरी डॉक्टरों को नियुक्त करने का भी निर्देश राज्य सरकार को दिया है। अदालत ने अपने इस फैसले के संदर्भ में ईशा उपनिषद, जो कि जानवरों को भी इंसानों के समान अधिकारों की वकालत करती है, और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी उल्लेख किया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले में कहा था कि इंसानों की तरह जानवरों का भी सम्मान और गौरव होता है, जिससे जानवरों को वंचित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश में जानवरों को विभिन्न हमलों से बचाने के उद्देश्य से आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यह निर्णय एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। यह याचिका नारायण दत्त भट्ट नामक व्यक्ति ने दाखिल की थी, जिसमें भारत-नेपाल बॉर्डर पर बनबसा इलाके में चलने वाले तांगों में घोड़ों पर होने वाले अमानवीय व्यवहार पर चिंता जताते हुए तांगों पर रोक लगाने की मांग की थी। अपने फैसले में कोर्ट ने बनबसा नगर पंचायत को आदेश दिया है कि वह इस इलाके में तांगों के आवागमन को रेगुलेट करे, जिसके तहत तांगों को लाइसेंस देने और तांगा खींचने वाले जानवरों के मेडिकल एग्जामिनेशन को अनिवार्य किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने तांगे में 4 से ज्यादा लोगों को बिठाने, 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा या 5 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर तांगों पर रोक लगाने की बात कही है।