जेएनयू में पढ़ाया जाएगा ‘इस्लामिक आतंकवाद’, भड़का छात्र संगठन
राजधानी दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी हमेशा ही चर्चा में रहती है। एक बार फिर यह यूनिवर्सिटी सुर्खियां बटोर रही है। दरअसल, विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद ने एक ऐसे कोर्स को मंजूरी दे दी है, जिसकी वजह से छात्रसंघ भड़क उठा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में हुई परिषद की बैठक में इस्लामिक आतंकवाद के कोर्स के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले का छात्रसंघ द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार को अकादमिक परिषद की एक बैठक हुई थी, जिसमें इस कोर्स को मंजूरी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक सेंटर फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज (सीएनएसएस) बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है, इसी प्रस्ताव में इस्लामिक आतंकवाद को विषय के रूप में पढ़ाना शामिल किया गया है। परिषद के एजेंडा में यह कहा गया है कि यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है, हालांकि अभी तक यह स्पष्ठ नहीं हुआ है कि इसे एक अलग विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा या नहीं।
परिषद के कुछ सदस्यों का कहना है कि इसे एक कोर्स के रूप में मंजूरी दी गई है, लेकिन कमिटी का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर अजय दुबे का कहना है कि इस विषय पर कोई कोर्स प्रस्तावित नहीं किया गया है। वहीं छात्रसंघ द्वारा इस कदम को सांप्रदायिक करार दिया जा रहा है। छात्रसंघ द्वारा कहा गया है, ‘अकादमिक कोर्स के नाम पर इस्लामोफोबिया का यह विचित्र प्रोपगैंडा फैलाना बहुत ही दिक्कत वाली बात है।’
वहीं परिषद के सदस्य अश्विनी महापात्रा का कहना है कि यह कोर्स बहुत जरूरी था, लेकिन फिर भी इसका नाम इस्लामिक आतंकवाद से बदलकर इस्लामिस्ट आतंकवाद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘इस्लामिस्ट आतंकवाद व्यापक रूप से स्वीकार्य शब्द और वैश्विक रूप से स्वीकार्य घटना है। यह उनके लिए इस्तेमाल होता है जो किसी लक्ष्य को पाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करते हैं। हिंदुत्व आतंकवाद जैसा कोई शब्द नहीं है, यह कांग्रेस द्वारा अल्पसंख्यकों का मत हासिल करने के लिए कहा गया था। और क्रिश्चन आतंकवाद जैसा भी कोई शब्द नहीं है… भारत में मुख्य रूप से इस्लामिस्ट आतंकवाद है, फिर भले ही वह चाहे जम्मू कश्मीर में हो या फिर केरल में हो। इसलिए भारत के संबंध में इसे पढ़ा जाना जरूरी है।’