जेएनयू शिक्षक संघ का जनमत संग्रह, 279 शिक्षकों ने कुलपति के खिलाफ किया मतदान
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) शिक्षक संघ की ओर से मंगलवार को हुए जनमत संग्रह में 279 शिक्षकों ने जेएनयू कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार को कार्यकाल से मुक्त करने के पक्ष में मतदान किया। वहीं, जनमत संग्रह के दूसरे सवाल उच्च शिक्षा ऋण एजंसी (हेफा) से ऋण नहीं लेने के पक्ष में 288 शिक्षकों ने मत दिया। शिक्षक संघ ने इन्हीं दो सालों पर जनमत संग्रह कराया था। जनमत संग्रह में प्रोफेसर पीके यादव (वैज्ञानिक), प्रोफेसर एमएच कुरैशी (भूगोलविद), प्रोफेसर अरुण कुमार (अर्थशास्त्री) और प्रोफेसर चमन लाल (लेखक) आदि बाहरी पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे। इनके अलावा जेएनयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और साथ ही शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष भी मौजूद रहे।
इस जनमत संग्रह में जेएनयू के कुल 586 सूचीबद्ध शिक्षकों में से 300 संकाय सदस्यों ने हिस्सा लिया। इनमें से 279 ने कुलपति को कार्यकाल से मुक्त करने के पक्ष में मत दिया। आठ शिक्षकों ने उनके पक्ष में वोट दिया। आठ मत अयोग्य हो गए और पांच मतदाताओं ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया। दूसरे सवाल में 288 मतदाताओं ने जेएनयू की ओर से लिए जा रहे हेफा ऋण के विरोध में मतदान किया। जेएनयू शिक्षक संघ ने इस जनमत संग्रह को अधिकतम शिक्षकों का पक्ष बताया।
शिक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर 31 जुलाई को हड़ताल और विरोध मार्च का आयोजन किया था। संघ से जुड़े एक शिक्षक के मुताबिक, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के नेतृत्व में जेएनयू प्रशासन शिक्षकों के ऊपर दो सालों से दबंगई कर रहा है। इस प्रशासन के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में पढ़ाई का माहौल खराब हुआ है, जिसके लिए जेएनयू जाना जाता है। शिक्षक संघ के अनुसार उनके प्रदर्शन की कुछ वजहें जिनमें विश्वविद्यालय की विचारशील प्रक्रिया का खत्म होना, 500 करोड़ रुपए का ऋण उच्च शिक्षा फंडिंग एजंसी से लिया जाना, प्रवेश परीक्षाओं को ऑनलाइन करना, सार्वजनिक निधि का गलत इस्तेमाल होना आदि शामिल हैं।