जेठमलानी ने कहा,”मेरी जिन्दगी का एक ही मकसद है, नरेंद्र मोदी से छुटकारा पाना।

वरिष्‍ठ वकील राम जेठमलानी ने गुुुुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में जेठमलानी ने कर्नाटक के गर्वनर वजूभाई वाला के भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को पहले सरकार बनाने का न्यौता देने के फैसले का विरोध किया है। उनका तर्क है कि आठ विधायकों की कमी होने के बावजूद राज्यपाल का येदियुरप्पा को बुलाना असंवैधानिक है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने की। उन्होंने जेठमलानी से कहा कि वह शुक्रवार (18 मई) को उचित बेंच के सामने अपनी याचिका को पेश करें।

मीडीया रिपोर्ट के अनुसार  मीडिया से बात करते हुए जेठमलानी ने पीएम मोदी के खिलाफ उठने वाले अपने हर कदम को जायज बताया। जेठमलानी ने कहा,”मेरी जिन्दगी का एक ही मकसद है, नरेंद्र मोदी से छुटकारा पाना। मुझे अभी भी सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है।” उन्होंने भाजपा पर लग रहे कथित तौर पर विधायकों की खरीद—फरोख्त के आरोपों पर कहा,’ये घोड़ों की दौड़ नहीं है। ये गधों की दौड़ है। ये भ्रष्टाचार को न्यौता देना है। ये लोग सिर्फ लोकतंत्र को तबाह करके ही वोट हासिल कर सकते हैं।

राम जेठमलानी, लॉ प्रैक्टिस से रिटायरमेंट ले चुके हैं। लेकिन फिर भी वह सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि कर्नाटक के गर्वनर का फैसला संवैधानिक ताकतों का पूरी तरह से दुरुपयोग है। राम जेठमलानी ने मीडिया से कहा,’मुझे गर्वनर के इरादों पर कोई संदेह नहीं है। उनका इरादा नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी का भरोसा किसी भी तरह हासिल करने का है। मैं बीती बातों पर बात नहीं करना चाहता हूं लेकिन मैं मोदी से छुटकारा पाना चाहता हूं।’

इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने आधी रात से शुरू हुई सुनवाई के बाद गुरुवार (17 मई) को अपने फैसले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह को टालने से इंकार ​कर दिया था। गुरुवार (17 मई) को सुबह नौ बजे येदियुरप्पा ने कर्नाटक के राजभवन में कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच शपथ ग्रहण कर ली थी। हालांकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने येदियुरप्पा और कर्नाटक के राज्यपाल के बीच हुए सरकार बनाने के लिए हुए पत्र व्यवहार की सभी प्रतियां तलब की हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि शपथ ग्रहण मामले के सामने आने से पहले का मामला है। जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली बेंच में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर ने शपथ ग्रहण को रोकने के लिए याचिका दायर की थी। उसके जवाब में येदियुरप्पा ने भी अपनी याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई भी माननीय कोर्ट ने अगली सुबह 10.30 बजे के लिए टाल दी है।

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