जेल सुधार के लिए बनेगी समिति, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे अध्यक्ष

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने सहित विभिन्न समस्याओं पर विचार और उनसे निबटने के सुझाव देने के लिये शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जायेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि जेल सुधारों के लिये प्रस्तावित समिति में भारत सरकार के भी दो या तीन अधिकारियों को शामिल किया जायेगा जो जेलों में बंद महिला कैदियों सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार करेगी। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि सरकार ने उसके आदेशों के तहत बहुत बड़ी धनराशि एकत्र की परंतु इसका सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया।

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जेल सुधारों के बारे में समिति गठित करने के न्यायालय के विचार से सहमति व्यक्त की और पीठ से कहा कि ऐसे ही कई अन्य क्षेत्रों में भारत अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या करीब 1.3 अरब है और इसमें विस्फोटक तरीके से वृद्धि हो रही है और भी अनेक समस्याओं से देश रूबरू हो रहा है।  अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा, ‘‘हम इनमें से कुछ समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति लोकूर ने वेणुगोपाल को स्प्ष्ट किया कि शीर्ष अदालत देश की प्रत्येक समस्या के लिये सरकार की आलोचना नहीं कर रही है।

उन्होने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हमने हर चीज के लिये सरकार की आलोचना नहीं की है और न ही कर रहे हैं।’’ पीठ ने इस मामले की सुनवाई 17 अगस्त के लिये स्थगित कर दी है। शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त को अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा था कि अनेक राज्यों ने अभी तक बोर्ड आफ विजिटर्स की नियुक्ति नहीं की है जो नियमित रूप से जेलों का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित करेंगे कि इनका संचालन नियमों के अनुसार किया जा रहा है। शीर्ष अदालत देश की 1, 382 जेलों की अमानवीय स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले, जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुये कहा था कि कैदियों के भी मानवाधिकार होते हैं और उन्हें ‘‘जानवरों’’ की तरह नहीं रखा जा सकता। इसके साथ ही न्यायालय ने जेलों में होने वाली अस्वाभाविक मृत्यु और जेलों में सुधार के बारे में अनेक निर्देश भी दिये थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *