जोधपुर सेंट्रल जेल से जमानत पर सलमान खान के विरोध में बिश्नोई समाज हाई कोर्ट जाएगा

जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रविंद्र कुमार जोशी ने शनिवार को 1998 में काले हिरणों के शिकार मामले में सुपरस्टार सलमान खान को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। दोनों पक्षों के बीच सुबह बहस पूरी हो जाने के बाद न्यायाधीश जोशी ने अपना आदेश भोजनावकाश के बाद तक सुरक्षित रख लिया था। 52 वर्षीय अभिनेता को 50 हजार रुपये का एक निजी मुचलका, इसके अलावा 25-25 हजार रुपये के दो जमानत देने के बाद उन्‍हें रिहा किया गया। ये दोनों व्यक्ति इस बात की गारंटी होंगे कि सलमान जमानत की सभी शर्तो से सहमत हैं। हालांकि सलमान को देश से बाहर यात्रा करने के लिए अदालत से विशेष इजाजत लेनी होगी। सभी कानूनी औपचारिकताओं के पूरा हो जाने के बाद सलमान को शाम साढ़े पांच बजे सेंट्रल जेल से रिहा किया गया।

सलमान के वकील महेश बोरा ने फैसले को लेकर अपनी खुशी जाहिर की। सलमान के खिलाफ 20 साल पहले दो काले हिरणों के शिकार पर मामला दर्ज कराने वाले बिश्नोई समाज ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे। बिश्नोई समाज काले हिरणों को धार्मिक गुरु भगवान जंबेश्वर का अवतार मानते हैं। जंबेश्वर को जंबाजी के नाम से भी जाना जाता है।

जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रविंद्र कुमार जोशी के तबादले के बाद सलमान खान की जमानत याचिका पर सस्‍पेंस बन गया था, मगर जोशी ने शनिवार सुबह मामले की फिर से सुनवाई शुरू कर दी। जोशी ने शुक्रवार को सलमान को जमानत देने पर फैसला सुरक्षित रखा था और अतिरिक्त दस्तावेज मंगाए थे। बाद में उसी रात 87 न्यायायिक अधिकारियों का तबादला कर दिया गया, जिनमें से एक जोशी भी थे। इसे नियमित प्रशासनिक कार्रवाई बताया गया था। हालांकि जोशी का तबादला राजस्थान के ही सिरोही में हुआ है, जानकार सूत्रों ने कहा कि उनसे (जोशी से) कोई निष्कर्ष निकलने तक जमानत याचिका की सुनवाई जारी रखने के लिए कहा गया है।

सलमान को वर्ष 1998 में दो दुर्लभ काले हिरणों के शिकार मामले में गुरुवार को अदालत ने पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। उनके अलावा चार अन्य सह आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। 20 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे राजस्थान के विश्नोई समाज ने ‘दबंग’ को सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही दम लिया। मुख्य न्यायाधीश देव कुमार खत्री ने सजा पढ़ते समय सलमान खान (52) को देश के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ‘आदतन अपराधी’ की संज्ञा दी थी।

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