जोहानिसबर्ग में 25 जुलाई से ब्रिक्स सम्मेलन : दिखेगी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर राजनयिक कवायद

क्षेत्रीय संतुलन के अंतरराष्ट्रीय राजनयिक मुद्दे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में छाए रहेंगे। अबकी मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका है। जोहानिसबर्ग में 25 जुलाई से तीन दिनों के सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शिखर वार्ताएं होंगी, जिनमें अमेरिका की व्यापार नीतियों और रक्षा सौदे के प्रतिबंधों के एजंडे पर बातचीत होगी। मोदी की अन्य एक अहम बैठक संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ होनी है। यह शिष्टाचार भेंट होगी, हालांकि इसमें कश्मीर को लेकर संरा मानवाधिकार संगठन द्वारा तैयार रिपोर्ट को लेकर चर्चा होगी।

ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के इस तीन दिवसीय बैठक में आधिकारिक तौर पर भारत अंतरराष्ट्रीय कई मुद्दों पर अपने प्रस्ताव रखने की तैयारी में है। विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) टीएस तिरूमूर्ति के मुताबिक, ब्रिक्स की इस 10वीं बैठक में वैश्विक मुद्दों, अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा, गवर्नेंस और कारोबार के मुद्दों पर बातचीत होगी। ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों में मोदी, जिनपिंग और पुतिन के बीच शिखर वार्ताओं में द्विपक्षीय हितों के साथ ही आर्थिक और सामरिक एजंडे पर चर्चा के एजंडे को विदेश मंत्रालय ने अंतिम रूप दे दिया है। ब्राजील के मिशेल तेमेर और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा के साथ मोदी की औपचारिक बैठकें होंगी।

रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ मोदी की एस 400 मिसाइल रक्षा व टोही प्रणाली की खरीद के संदर्भ में अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर बातचीत होगी। इस सौदे को लेकर आगे बढ़ने पर अमेरिका ने रूस और भारत- दोनों ही देशों को अपने कानून के तहत आर्थिक प्रतिबंधों की चेतावनी दी है। हालांकि, भारत ने इस सौदे पर आगे बढ़ने का ऐलान किया है। इस सौदे पर मोदी और पुतिन के बीच जोहानिसबर्ग में बनी सहमतियों के आधार पर ही नवंबर में नई दिल्ली में होने वाले भारत-रूस आर्थिक व सामरिक मंच की बैठक में इस सौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। रूस की रुचि पनडुब्बी और लड़ाकू विमान सौदों को लेकर भी है, जिसपर मोदी-पुतिन वार्ता में बात होगी। दोनों नेता अमेरिकी प्रतिबंध की स्थिति में वैकल्पिक राह तलाशने की संभावनाओं पर भी बात करेंगे।

चीन और भारत के राष्ट्राध्यक्ष अपनी वार्ता में मुख्य रूप से अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर बात करेंगे। अमेरिका के साथ चीन व्यापार युद्ध में उलझा है। जबकि, ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय इस्पात व अल्यूमीनियम पर नए कर लगाने के फैसले के बाद भारत ने 30 अमेरिकी उत्पादों पर कर बढ़ा दिया है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस बैठक के एजंडे को अंतिम रूप देने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। अप्रैल में वुहान और मई में शंघाई में मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच यह तीसरी मुलाकात होगी। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और सामरिक मुद्दों पर भी दोनों नेता चर्चा करेंगे। चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगे अगले महीने भारत यात्रा पर आने वाले हैं। फेंगे की यात्रा के एजंडे की रूपरेखा इस बैठक में तय की जाएगी।

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