ज्योतिषी, धर्मगुरू तय नहीं कर सकते तारीख, तेलंगाना चुनाव पर भड़के सीईसी

तेलंगाना में समय से पहले विधान सभा भंग करने कर विधान सभा चुनाव कराने के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा है कि अगर कुछ और राज्यों ने ऐसा ही किया तो उन चार राज्यों के विधान सभा चुनाव के साथ इनके चुनाव कराने मुश्किल होंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले आयोग को तैयारियां करनी पड़ती है। ओ पी रावत इस बात पर बिफर पड़े कि दिसंबर तक वहां चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ज्योतिषी, बाबा या धर्मगुरू तय नहीं करेंगे कि किस तारीख में कहां चुनाव हो। बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कल (गुरुवार, 06 सितंबर) को विधान सभा भंग कर दिया था और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था ताकि राज्य में जल्दी चुनाव हो सके। सूत्र बताते हैं कि सीएम ने ऐसा ज्योतिषियों की सलाह पर किया है। जानकारों के मुताबिक इस साल के अंत तक चुनाव होने पर चंद्रशेखर राव को फिर से सत्ता में लौटने की उम्मीद है। वैसे इसके राजनीतिक मायने भी हैं। चंद्रशेखर राव को लगता है कि मौजूदा समय में उनकी सरकार और पार्टी के प्रति राज्य में फीलगुड है, इसलिए उसे समय से पहले भुना लिया जाय।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने मीडिया में चल रही उन खबरों का भी खंडन किया है, जिसमें कहा जा रहा था कि अक्टूबर में चुनाव तारीखों का एलान होगा, नवंबर में चुनाव होंगे और दिसंबर में नतीजे आएंगे। रावत ने कहा यह बेबुनियाद और मनगढ़ंत है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हम इसका आंकलन करेंगे कि क्या तेलंगाना में चार राज्यों के विधान सभा चुनावों के साथ मतदान कराए जा सकते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि हम इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक कदम उठाएंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट समय पूर्व विधान सभा भंग करने की स्थिति में पहले ही निर्देश जारी कर चुका है कि वहां जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए क्योंकि एक कार्यवाहक सरकार लंबे समय तक काम नहीं कर सकती है और मौके का फायदा नहीं उठा सकती है।

चुनाव आयोग ने आज इस मसले पर उच्च स्तरीय बैठक की और चुनाव की संभावनाओं पर मंथन किया। बैठक में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव कराए जाने पर भी चर्चा हुई। वहां इस साल के अंत तक यानी दिसंबर तक विधान सभा चुनाव होने हैं। आयोग वीवीपीएटी मशीनों के सही तरह से काम नहीं करने से परेशान है। आयोग की तकनीकि समिति इस मामले का समाधान निकालने में जुटी है। आयोग को 30 सितंबर तक और ईवीएम और 30 नवंबर तक वीवीपीएटी मशीन मिलने की उम्मीद है।

इधर, वरिष्ठ वामपंथी नेता एस सुधाकर रेड्डी ने निर्धारित वक्त से पहले ही तेलंगाना विधानसभा को भंग करने के फैसले की आलोचना करते हुए सत्तारूढ़ टीआरएस को ‘‘एक परिवार की कैबिनेट और एक व्यक्ति की पार्टी’’ करार दिया। सीपीआई महासचिव ने शुक्रवार को कहा कि वह नहीं सोचते कि पहले चुनाव होने से टीआरएस को फायदा मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि आम तौर पर जहां भी राज्य सरकार पहले चुनाव का सामना करती है, वहां उसे हार मिलती है। रेड्डी ने कहा कि चंद्रशेखर राव डरे हुए हैं कि अगर वह पद पर बने रहेंगे तो उनकी सरकार का ‘‘पर्दाफाश’’ हो जाएगा।

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