टीवी डिबेट में आचार्य पर बरसे बीजेपी नेता, बोले- पंडितों को गीता और मौलवियों को वजीफा क्यों?
असम में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) ड्राफ्ट जारी होने के बाद से ही विपक्ष इसका लगातार विरोध कर रहा है। टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियों द्वारा एनआरसी के ड्राफ्ट को लेकर केंद्र पर निशाना साधा जा रहा है। 30 जुलाई यानी सोमवार से ही एनआरसी का मुद्दा गरमाया हुआ है। टीएमसी नेताओं ने शुक्रवार को गुवाहाटी जाने की कोशिश करके इस मामले को और भी ज्यादा बढ़ा दिया। टीवी से लेकर सोशल मीडिया पर, हर जगह इस मुद्दे पर लोग जमकर बहस कर रहे हैं। न्यूज़ 18 इंडिया में भी एनआरसी को लेकर एक टीवी डिबेट का आयोजन किया गया, जहां बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के नेताओं को इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए आमंत्रित किया गया।
डिबेट में घुसपैठिए के मुद्दे पर सभी दलों के नेताओं से सवाल किए गए। इस डिबेट में बीजेपी की तरफ से प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और राजनीतिक विश्लेषक आचार्य प्रमोद कृष्णन को भी आमंत्रित किया गया था। डिबेट में त्रिवेदी और आचार्य के बीच जमकर बहस हो गई। आचार्य के एक सवाल के जवाब में बीजेपी प्रवक्ता ने यह सवाल कर डाला कि पंडितों को गीता और मौलवियों को वजीफा क्यों मिलता है?
दरअसल, डिबेट में प्रमोद कृष्णन ने सुधांशु त्रिवेदी से सवाल किया कि एनआरसी ड्राफ्ट में जिन 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं, उनके पास क्या दस्तावेज थे और कौन से दस्तावेज नहीं थे? इसके जवाब में सुधांशु ने कहा, ’16-17 प्रकार के दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किए हैं, जिनमें ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पत्र वगैरह वगैरह हैं… अगर यह भी किसी के पास न हो तो वो पूर्व की मतदाता सूची में अपने-अपने परिवार के व्यक्तियों का नाम पहचान कर दे सकता है। अगर वो भी नहीं मिला, या फिर किसी से देने में चूक हो गई, तभी यह स्थिति आई है। हमारे एक विधायक, सिटिंग विधायक रह गए हैं… लेकिन समस्या जानते हैं क्या है, तकनीकी त्रुटी नहीं है, परेशानी है राजनीतिक नजरिया। मैं आचार्य जी से विनम्रता से कहना चाहता हूं कि पश्चिम बंगाल की सरकार में एक मंत्री हैं फरहाद हकीम, जो अपने इलाके को मिनी पाकिस्तान कहते हैं, नफरत वहां से आती है। आप धर्माचार्य हैं, इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि सिर्फ मौलवियों को वजीफा… पंडितों और पादरियों ने कोई गुनाह किया है क्या? सिक्ख ग्रंथियों ने कोई गुनाह किया है क्या कि उनको नहीं मिलेगा। पंडितों को बुलाकर क्या दिया… गीता और मौलवियों को वजीफा…।’