टूरिस्ट्स को क्या खाना चाहिए, क्या नहीं, यह तय करना राज्यों का काम नहीं: नीति आयोग
शराब प्रतिबंध का दायरा बढ़ने के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है। ऐसे में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने आज कहा कि यह तय करना राज्यों का काम नहीं है कि पर्यटकों को क्या पीना और क्या खाना चाहिये। विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कान्त ने कहा, ‘‘राज्यों को इस मामले में नहीं पड़ना चाहिये कि पर्यटक क्या खाना चाहता है और क्या पीना चाहता है। ऐसा नहीं हो सकता है , वह क्या खाना या पीना चाहते हैं, यहा उनका निजी मामला है, यह राज्यों का काम नहीं है।’’
अमिताभ से पूछा गया था कि क्या बीफ और शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य यह नहीं समझ पाए हैं कि दुबई क्यों इतना शानदार प्रदर्शन करता है। जिस देश को भी पर्यटकों की जरूरत है तो वह उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ चीजों को मैं लंबे समय से मानता हूं। पर्यटन अनिवार्य रूप से सभ्यता की प्रकृति का होता है। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप कूड़ा कचरा रखें और साथ ही कहें कि हमारे पास काफी ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। ऐसे में भारत को स्वच्छता पर ध्यान देने की जरूरत है। यह निश्चित रूप से पहले नंबर पर होना चाहिए। नंबर दो बिना किसी बाधा के बेहतर अनुभव प्रदान करना है।
शराब प्रतिबंध का दायरा बढ़ने के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है। ऐसे में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने आज कहा कि यह तय करना राज्यों का काम नहीं है कि पर्यटकों को क्या पीना और क्या खाना चाहिये। विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कान्त ने कहा, ‘‘राज्यों को इस मामले में नहीं पड़ना चाहिये कि पर्यटक क्या खाना चाहता है और क्या पीना चाहता है। ऐसा नहीं हो सकता है , वह क्या खाना या पीना चाहते हैं, यहा उनका निजी मामला है, यह राज्यों का काम नहीं है।’’
अमिताभ से पूछा गया था कि क्या बीफ और शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य यह नहीं समझ पाए हैं कि दुबई क्यों इतना शानदार प्रदर्शन करता है। जिस देश को भी पर्यटकों की जरूरत है तो वह उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ चीजों को मैं लंबे समय से मानता हूं। पर्यटन अनिवार्य रूप से सभ्यता की प्रकृति का होता है। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप कूड़ा कचरा रखें और साथ ही कहें कि हमारे पास काफी ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। ऐसे में भारत को स्वच्छता पर ध्यान देने की जरूरत है। यह निश्चित रूप से पहले नंबर पर होना चाहिए। नंबर दो बिना किसी बाधा के बेहतर अनुभव प्रदान करना है।