ट्रम्प को चुनौती: पाकिस्तान ने बंद की अमेरिका से बात, सारे सरकारी दौरे भी रद्द

आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध करवाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस्लामाबाद की आलोचना किए जाने के विरोध में पाकिस्तान ने अमेरिका की आधिकारिक यात्राएं और उसके साथ होने वाली सभी वार्ताओं को स्थगित कर दिया है।विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कल सीनेट में इस बात की जानकारी दी। सीनेट ने अमेरिका के साथ अपने बिगड़ते रिश्तों पर चर्चा के लिए एक समिति का रूप ले लिया था। डॉन ने सूत्रों के हवाले से कहा कि आसिफ ने सीनेटरों से कहा कि पाकिस्तान ने विरोध जताने के लिए वार्ताएं और द्विपक्षीय दौरे स्थगित कर दिए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री :दक्षिण एवं मध्य एशिया: एलिस वेल्स को मंगलवार को यहां पहुंचना था जबकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री को पिछले सप्ताह अमेरिका की यात्रा पर जाना था।

ट्रंप द्वारा हाल ही में दक्षिण एशिया पर जारी की गई नीति पर आसिफ ने कहा कि इसमें अफगानिस्तान में भारत के लिए किसी सैन्य भूमिका की बात नहीं कही गई है।सूत्रों के अनुसार, मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत को दी जाने वाली ये भूमिका आर्थिक विकास की है। समिति की बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान उन्होंने दावा किया कि भारत को पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा।सदस्यों ने सरकार से यह भी कहा कि वह 11 सितंबर की आतंकवादी घटना के बाद अमेरिका की ओर से मिली मदद का ब्यौरा पेश करे और यह भी बताए कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में देश को कितना वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है। विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने सदन को बताया कि दक्षिण एशिया पर अमेरिका की नयी नीति की घोषणा के बाद रणनीति तय करने के लिए पांच से सात सितंबर तक पाकिस्तान के दूतों की बैठक आयोजित की गई थी।

यह तय किया गया कि समिति सामने आते हालात और अमेरिका की भूमिका को ध्यान में रखते हुए नीति संबंधी निर्देशों पर चर्चा के लिए फिर से बैठक करेगी।नीति संबंधी निर्देशों को एक प्रस्ताव की शक्ल दी जएगी, जिसे सीनेट द्वारा बुधवार को पारित किया जा सकता है। विदेश मंत्री द्वारा समिति की बंद कमरे में हुई इस बैठक के निष्कर्ष बताए जाने से पहले सीनेट के अध्यक्ष रजा रब्बानी ने उन्हें यह याद दिलाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी की मौजूदगी में संसद के संयुक्त सत्र का प्रस्ताव दिया हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों सदन अलग-अलग किस्म के प्रस्ताव पारित करेंगे तो इससे अच्छा संदेश नहीं जाएगा। हालांकि विदेश मंत्री ने कहा कि सीनेट द्वारा पारित प्रस्ताव का नेशनल असेंबली समर्थन कर सकती है या उसमें थोड़ा बदलाव कर सकती है।

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