ट्रेन में टॉयलेट की कहानी: इस भारतीय ने टूटी-फूटी अंग्रेजी में लिखा था अंग्रेजों को पत्र, तब जुड़ी थी यह सुविधा

महंगाई के जमाने में भी भारतीय रेल देश का सबसे सस्ता और बड़ा ट्रांसपोर्टर है। इंडियन रेलवे की वेबसाइट इसे देश की लाइफ लाइन बताती है। ज्यादातर लोगों का भी यही मानना है कि भारतीय रेल देश में जीवन धारा का काम करती है। भारतीय रेल के विकास के पहिए शायद इसीलिए रफ्तार पकड़ते रहे क्योंकि समय-समय के साथ इसमें बदलावों का ईंधन लगता रहा। उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक साबित हुए बदलाव की हम यहां बात कर रहे हैं। अगर आप ट्रेन में सफर करते हैं और उसका टॉयलेट इस्तेमाल करते हैं तो क्या कभी सोचा है कि आखिर डिब्बे में टॉयलेट जोड़ने का विचार किसका रहा होगा? वैसे तो इस वक्त इस जिक्र का कोई तुक नहीं है लेकिन चीन में हाल ही में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा पड़ोसी मुल्क के लोगों को खूब भा रही है। फिल्म भारत में टॉयलेट की समस्या पर केंद्रित है और इसकी मुख्य अदाकारा को उसकी शादी के बाद शौच के लिए ट्रेन की टॉयलेट का इस्तेमाल करते दिखाया गया है, इसलिए ट्रेन में टॉयलेट की दिलचस्प कहानी के पीछे ध्यान गया, जिसे हम यहां बता रहे हैं।

अगर आप नई दिल्ली स्थित भारतीय रेल के संग्रहालय गए हैं तो ट्रेन में टॉयलेट की कहानी से वाकिफ होंगे ही, अगर नहीं गए हैं तो बता दें कि संग्रहालय में सौ वर्षों से भी ज्यादा पुराना वह पत्र आज भी मौजूद है जिसे ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा लाने के पीछे का कारण माना जाता है। इस पत्र को ओखिल चंद्र सेन नाम के एक रेल यात्री ने अंग्रेजी हुकूमत को लिखा। मजे की बात यह थी कि ओखिल बाबू ने अंग्रेजी सरकार को टूटी-फूटी अंग्रेजी में पत्र लिखा था। पत्र में ओखिल चंद्र सेन ने अपनी समस्या से अवगत कराया था। चूंकि अंग्रेजी सरकार को समस्या से अवगत कराने के लिए उन्होंने टूटी-फूटी अंग्रेजी का इस्तेमाल किया था इसलिए वह पत्र हिलेरियस (हंसाने वाला) माना गया और उसने भारतीय रेल के इतिहास में अहम भूमिका निभाई। ओखिल बाबू ने साहिबगंज डिवीजनल रेलवे ऑफिस को सन 1909 में पत्र लिखा था।

बता दें कि भारतीय रेल के विकास में आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम) की भी बड़ी भूमिका है। इसकी वेबसाइट के जरिये यात्री खुद से ही टिकट बुक करने से लेकर, खाने का ऑर्डर देने, होटल के कमरे बुक करने, खास टूर पैकेज बुक करने, हवाई टिकट और टैक्सी-कैब आदि की सेवाओं का लुत्फ ले रहे हैं। हाल ही में आईआरसीटी ने अपनी वेबसाइट का कलेवर बदला है और उसे और ज्यादा यूजर्स फ्रेंडली बनाने की कोशिश की है।

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