ट्विटर पर भिड़े IAS, एक ने कहा-संविधान में भरोसा रखते हो, दूसरे बोले- यह मुगलसराय स्टेशन नहीं

जम्मू और कश्मीर के मसले को लेकर सोशल मीडिया पर दो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आपस में भिड़ गए। एक ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश का मुगलसराय रेलवे स्टेशन नहीं है, जिसे किसी भी तरह पेंट कर दिया जाए। वहीं, दूसरे अधिकारी ने पूछा कि क्या आप संविधान में यकीन रखते हैं?

हुआ यूं कि मंगलवार (सात अगस्त) को शाह फैजल ने टि्वटर पर एक पोस्ट किया, जो कि जम्मू और कश्मीर एसपीडीसी लिमिटेड के पूर्व प्रबंधकीय निदेशक हैं। उन्होंने लिखा, “मैं अनुच्छेद 35 ए की तुलना निकाहनामे से करूंगा। अगर कोई उसका खंडन कर दे तो संबंध खत्म समझिए। इसके बाद चर्चा के लिए कुछ भी नहीं बचता।”

जवाब देते हुए दूसरे आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित बोले, “आईएएस में आने के लिए आपको भारत के संविधान की शपथ लेनी पड़ेगी, जो कि सुप्रीम कोर्ट में विश्वास रखता है। सुप्रीम कोर्ट का इस मसले पर फैसला आना अभी बाकी है। लेकिन आप हैं कि अलगाववादियों का पक्ष ले रहे हैं।”

फैजल ने इसी पर जवाब दिया, “मुझे संविधान के हर चैप्टर, अनुच्छेद, धारा और परिशिष्ट में पूरी तरह से भरोसा है, जिसमें अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए भी आते हैं। संविधान एक किस्म का प्रतिज्ञा-पत्र है। यह उस मुगलसराय स्टेशन की तरह नहीं है, जिसे म किसी भी तरह से पेंट कर दिया जा सके।”

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पांच अगस्त को बदला गया है। अब से यह स्टेशन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आदर्श माने जाने वाले पं.दीन दयाल उपाध्याय के नाम से जाना जाएगा। साल 1968 में उपाध्याय यहीं पर संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तभी से इस स्टेशन का नाम बदलने की मांग उठा रही थी।

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