ठंडे बस्ते में गया सैफई का नीदरलैंड बनना
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृहनगर सैफई को नीदरलैंड की तरह खूबसूरत बनाने की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। जनवरी 2016 की इस योजना में सैफई को विकसित करने का मास्टर प्लान शासन स्तर पर मंजूर किया गया था। इसके लिए तीन सौ करोड़ रुपए की लागत से सैफई की 13 किलोमीटर की सड़कें, सीवरलाइन, फुटपाथ, भूमिगत बिजली व्यवस्था, साइकिल ट्रैक और पौधरोपण करने का खाका बनाकर काम शुरू भी कर दिया गया था लेकिन उसके बजट के अधिक होने की भी संभावनाएं अधिकारियों ने लगा रखी थीं। मार्च 2017 तक सभी कार्य पूर्ण कर लिए कर लिए जाने का लक्ष्य था। इसमें लोक निर्माण, सिंचाई, बिजली निगम, वन और जल निगम के अधिकारियों की देखरेख में काम होना तय किया गया था। इनका नोडल प्रभारी अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग को बनाया गया।
सड़क के मध्य में डिवाइडर, दोनों ओर फुटपाथ तथा साइकिल ट्रैक बनाने की योजना को अंतिम रूप दिया गया था। इसके साथ ही बेंच भी बनाना भी तय हुआ ताकि थकान होने पर लोग आराम कर सकें। डिवाइडर पर खंभे लगाकर रोशनी की व्यवस्था भी थी। सैफई की माइनर को ढकने के अलावा सभी सड़कों को आधुनिक तरीके से भव्यता प्रदान करने का खाका खींचा गया था। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मंशा थी कि सैफई में आए दिन विशिष्ट व्यक्तियों के आवागमन को देखते हुए यह जरूरी है कि इसको विकसित किया जाए। इसीलिए सपा सरकार में उन्होंने अपने गांव को विकसित करने की योजना बनाई थी।
जलापूर्ति योजना के अंतर्गत दो ओवरहेड टैंक भी बनाए जाने थे। इन सब कार्यों के लिए करीब 300 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया था। पूरे कार्य को करने के लिए राजकीय निर्माण निगम संस्था को लगाया गया था परंतु सपा सरकार जाने के बाद यहां पर कार्य को रोक दिया गया। अखिलेश सरकार में सैफई में पर्यटन परिसर योजना शुरू की गई थी। 29 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले पर्यटन परिसर के लिए बजट जारी किया गया था। परियोजना का 60 फीसद काम पूरा हो चुका है। अभी और नौ करोड़ रुपए बजट की आवश्यकता है।
सैफई में 107 करोड़ की लागत से सीवर लाइन परियोजना अखिलेश सरकार में शुरू हुई थी। इसके लिए 40 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। सीवर लाइन का 40 फीसद काम पूरा हो चुका है। पूरी पर योजना के लिए 67 करोड़ रुपए की और आवश्यकता है ।
32 करोड़ की लागत से तत्कालीन सपा सरकार ने सैफई में शुरू की गई पेयजल परियोजना पर भी ग्रहण लग गया है। इस परियोजना के लिए अखिलेश सरकार ने पहली किस्त के रूप में 10 करोड़ रुपए जारी किए थे। सैफई के पैरामेडिकल कॉलेज पर योगी सरकार की जरूर कुछ मेहरबानी हुई है। अपने दूसरे बजट में उसने सैफई मेडिकल कॉलेज को 25 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया है पर यह इस परियोजना के लिए नाकाफी है। इस परियोजना को 400-500 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। अंतराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट स्टेडियम का काम अधूरा पड़ा हुआ है। जिसके लिए मात्र 40 करोड़ रुपए के बजट की दरकार है।