ठंड बढ़ने के साथ ही और जानलेवा हुआ एच1एन1 वायरस

ठंड बढ़ने के साथ ही देश में पांव पसार रहे स्वाइन फ्लू के वायरस एच1एन1 का नया लक्षण (स्ट्रेन) सामने आया है, जिससे यह वायरस और भी जानलेवा साबित हो सकता है। गनीमत यह है कि यह अभी राजस्थान के ही कुछ इलाकों में पाया गया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसका प्रसार रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने होंगे और मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों को भी सावधानी बरतनी होगी।  राजस्थान में हाल में सामने आए आंकड़ों के मद्देनजर अनुमान है कि जयपुर में फ्लू के 100 से अधिक मामलों में एक हफ्ते के भीतर 10 से अधिक मौतें हुई हैं। ये मामले एच1एन1 वायरस में मिले एक नए लक्षण के कारण हुए हैं, जिसे मिशिगन स्ट्रेन कहा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस वायरस के कारण ही फ्लू के मरीजों (बुजुर्ग, वयस्कों और छोटे बच्चों) को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आती है और उनकी मौत तक हो जाती है। दिसंबर 2017 में 400 से अधिक लोगों के स्वाइन फ्लू वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद राजस्थान सरकार ने तीन जनवरी को राज्य में अलर्ट जारी किया था। राजस्थान में जनवरी 2017 से दिसंबर 2017 के बीच स्वाइन फ्लू से 241 लोगों की मौत हुई है। राजस्थान से दिल्ली में पर्यटकों की आवाजाही बड़े पैमाने पर है जोकि इस संक्रामक बीमारी का वाहक बन सकता है।

इस बारे में बताते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन आॅफ इंडिया (एचसीएफआइ) के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल ने कहा कि हालांकि यह वायरस कम खतरनाक हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से अधिक संक्रामक है। वायरस में जो बदलाव आया है, उससे यह ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है। खासकर ऐसे लोगों को, जिनमें अभी तक इसको लेकर इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) विकसित नहीं हुई है। फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस को तीन व्यापक श्रेणियों में बांटा जाता है- इन्फ्लूएंजा ए, बी या सी। इन्फ्लुएंजा ए सबसे सामान्य प्रकार है। एच1एन1 फ्लू इन्फ्लूएंजा ए की एक किस्म है, जो वायरल सीरोटाइप को इंगित करती है। यह एक किस्म की शॉर्टहैंड है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली से वायरस की पहचान करती है और वायरस को आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देती है।  एच1एन1 के कुछ लक्षणों में शामिल है- मांसपेशियों में दर्द, सूखी खांसी, दस्त, मचली या उल्टी, ठंड, थकान, बुखार, सिरदर्द, सांस की तकलीफ या गले में खराश। डॉ अग्रवाल ने आगे बताया कि सभी डॉक्टरों को अस्पताल में भर्ती ऐसे गंभीर रूप से बीमार और उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए एंटी वायरल दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी जानी चाहिए। इसके अलावा राष्टÑीय फ्लू निवारण अभियान के दिशानिर्देशों का पालन करना भी अनिवार्य है।

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