डूसू चुनाव पर धारा 144 का साया
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ आए फैसले के बाद दिल्ली के 11 जिलों में लागू धारा 144 का सीधा असर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव पर पड़ने वाला है। डूसू पदाधिकारियों के चुनाव के लिए 12 सितंबर को मतदान होना है। डूसू चुनाव के लिए जारी कार्यक्रम के मुताबिक, 6 सितंबर को शाम 5 बजे अंतिम रूप से चुनाव में उतरने वाले उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। इसके बाद 7 और 8 सितंबर को उम्मीदवारों के पास प्रचार के लिए मौका होगा। इसके बाद 9 सितंबर को शनिवार और 10 सितंबर को रविवार है। शनिवार और रविवार को कॉलेज बंद होने की वजह से उम्मीदवार प्रचार नहीं कर पाएंगे। 11 सितंबर यानी सोमवार मतदान से पहले वाला दिन है और नियमों के मुताबिक इस दिन कोई प्रचार नहीं होता है। यानी उम्मीदवारों को प्रचार के लिए सिर्फ दो दिन यानी 7 और 8 सितंबर ही मिलेंगे, लेकिन धारा 144 की वजह से इन दोनों दिनों में भी प्रचार करना मुमकिन नहीं है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा ने बताया कि उत्तरी और मध्य दिल्ली में धारा 144 नहीं लगी है, लेकिन डीयू के कॉलेज पूरी दिल्ली में फैले हुए हैं। ऐसे में धारा 144 लगे होने से निश्चित रूप से उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने में मुश्किल होगी। डीयू के दक्षिणी परिसर और कालकाजी क्षेत्र में बड़ी संख्या में कॉलेज मौजूद हैं। अगर धारा 144 लगी रहती है तो इन कॉलेजों में उम्मीदवार न तो रैली निकाल पाएंगे और न ही अपने समर्थकों के साथ प्रचार कर पाएंगे। गौरतलब है कि डीयू के 50 से ज्यादा कॉलेज हर साल डूसू चुनाव में हिस्सा लेते हैं।
चुनाव समिति अधिक छात्रों की भागीदारी के लिए प्रयास करे : एबीवीपी
डूसू चुनाव के मद्देनजर शनिवार को एबीवीपी के पदाधिकारी डूसू चुनाव समिति से मिले और चुनाव में अधिक से अधिक छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चुनाव समिति को प्रयास करने का सुझाव दिया। इसके लिए विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच एक अभियान चलाने का भी सुझाव दिया गया। एबीवीपी ने चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग करते हुए कहा कि इस बार कॉलेजवार भी मत की संख्या घोषित की जाए। इसके अलावा एबीवीपी ने चुनावों में लिंगदोह कमेटी के निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने की भी मांग की ताकि चुनाव में धनबल और बाहुबल का कतई इस्तेमाल न हो।
इसके अलावा परिषद ने कहा कि हर कॉलेज और विभाग में कम से कम एक ‘वॉल आॅफ डेमोक्रेसी’ होनी चाहिए ताकि उम्मीदवार उस पर ही अपने पर्चे लगाएं। एबीवीपी ने मतदान वाले दिन जिन कॉलेज में तकनीकी गड़बड़ी सामने आती है, उन कॉलेजों में मतदान का समय बढ़ाने की मांग भी की। इसके साथ ही इस छात्र संगठन ने डूसू चुनाव में भाग लेने वाले सभी संगठनों की एक बैठक आयोजित करने की भी मांग की ताकि सभी की मांगों पर चुनाव समिति एक साथ विचार कर सके। चुनाव समिति से मिलने के लिए गए एबीवीपी के दल में राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा, दिल्ली प्रदेश मंत्री भारत खटाना, निवर्तमान डूसू अध्यक्ष अमित तंवर और निवर्तमान डूसू उपाध्यक्ष प्रियंका छावड़ी शामिल थीं।