डॉक्टरों ने बताया जुकाम, 3 साल बाद निकला गले का ट्यूमर, पीड़ित ने बताई आपबीती

सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ और खाना निगलने में दिक्कत की समस्या को लेकर मैंने तीन साल तक अस्पतालों के चक्कर काटे, जांच पर जांच कराई और ढेर सारी दवाएं खार्इं, लेकिन मर्ज बढ़ता गया। करीब डेढ़ साल से नाक से खून भी आने लगा था। अगर ऑपरेशन नहीं होता तो मेरी जान भी जा सकती थी।’ यह आपबीती है गले के ट्यूमर से पीड़ित विजय सिंह की। 32 साल के विजय एक जटिल, लेकिन सफल ऑपरेशन से उबर कर अब घर जाने की तैयारी में हैं। विजय का ऑपरेशन करने वाले ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ कंवर सेन ने कहा कि निगलने व सांस लेने में दिक्कत हो रही हो या आवाज बदल रही हो तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है।

राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती विजय सिंह ने बताया कि वे साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में फूड एंड वेटनरीज में बतौर ठेका कर्मचारी काम कर रहे थे, लेकिन वे इस अस्पताल में इलाज की हिम्मत नहीं कर सके क्योंकि वह काफी महंगा है। तीन साल की बीमारी के कारण उनकी अस्पताल की नौकरी जरूर छूट गई। मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले सिंह ने बताया कि वे फरीदाबाद में रहकर इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे। स्थानीय डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने जुकाम बताकर दवा दी, लेकिन आराम नहीं मिला तो दक्षिणी दिल्ली के आकाश अस्पताल में दिखाया। वहां कई तरह की जांच और एक्सरे कराया गया।

डॉक्टर ने दवा लिख दी, लेकिन कुछ बताया नहीं। काफी दिनों तक वहां इलाज कराया, लेकिन परेशानी कम होने के बजाए बढ़ती गई। विजय की पत्नी नीलू नेगी ने बताया कि वे खाना तक नहीं निगल पाते थे और सांस लेने में भी तकलीफ होती थी। इस बीच एक होम्योपैथिक डॉक्टर को दिखाया, फिर भी आराम नहीं मिला। बाद में नाक से खून भी निकलने लगा, फिर भी होम्योपैथी के डॉक्टर दवा से ठीक करने के दावे करते रहे। इस बीच दो साल निकल गए।

इसके बाद दक्षिणी दिल्ली के ही शांति निकेतन अस्पताल में दिखाया तो उन्होंने एम्स जाने का सुझाव दिया। एम्स में लंबे इंतजार के डर से वे किसी की सलाह पर राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे। सिंह ने बताया कि आरएमएल के डॉक्टर ने देखते ही बता दिया कि गले में ट्यूमर है जो कभी भी फट सकता है। यहां के नाक, कान, गला (ईएनटी) विभाग के डॉक्टरों ऑपरेशन करके करीब 200 ग्राम का ट्यूमर निकाला।

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