डॉक्टर का आरोप- अस्पताल की लापरवाही सामने लाने की मिल रही है सजा

अस्पतालों में बढ़ती हिंसा की एक घटना बीते दिनों दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में दिखी, जहां अस्पताल में ही एक डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी। कमोबेश ऐसे ही हालात जाने-माने राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी हैं। यहां के एक जूनियर डॉक्टर ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में दावा किया है कि कुछ लोगों ने उन्हें मारने की धमकी दी है। पुलिस व अस्पताल प्रशासन को दी गई शिकायत में जूनियर रेजिडेंट डॉ गुलाब सिंह सोलंकी ने आरोप लगाया है कि वरिष्ठ डॉक्टर व सहायक डॉक्टर उनका मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। सोलंकी के मुताबिक, अस्पताल में मरीजों की अनदेखी किए जाने और दूसरे डॉक्टरों के ड्यूटी से गायब रहने का विरोध करने पर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
सोलंकी का यह भी आरोप है कि कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें मारने की धमकी भी दी है। उनका कहना है कि कई महीने पहले की गई उनकी शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, लेकिन जैसे ही इस बारे में मीडिया ने पूछताछ की वैसे ही एक जांच समिति बना कर जांच शुरू कर दी गई। कुछ दिन पहले सेंट स्टीफंस अस्पताल में डॉ शाश्वत पांडेय की हत्या कर दी गई थी। उनके परिजनों का कहना था कि अगर डॉ पांडेय की शिकायत को गंभीरता से लिया गया होता तो शायद वे आज जिंदा होते। दिल्ली के दूसरे अस्पतालों में भी स्थिति ऐसी ही है, जहां किसी न किसी वजह से डॉक्टर अपने ही सहयोगियों की हिंसा का शिकार हैं। आरएमएल के डॉ सोलंकी का कहना है कि उनको मरीजों के साथ लापरवाही बरतने के खिलाफ आवाज उठाने के चलते निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें अपने साथियों के हाथों प्रताड़ित होकर मानसिक तनाव व अवसाद भी झेलना पड़ रहा है। अस्पताल के इमरजंसी वार्ड में जूनियर रेजिडेंंट रहे डॉ सोलंकी ने 17 अगस्त को इस बाबत नार्थ एवेन्यू थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। अस्पताल प्रशासन को भी उन्होंने लिखित शिकायत दी थी, लेकिन अभी तक न तो पुलिस और न ही अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई जांच की गई।
डॉ सोलंकी का कहना है कि वे इमरजंसी में डेढ़ साल से काम कर रहे थे। उनका आरोप है पहले उनको नौकरी छोड़ने की हिदायत दी गई और ऐसा न करने पर एक महिला डॉक्टर ने उन्हें किसी मामले में घसीटने की धमकी भी दी। आरोप है कि शिकायत दर्ज करवाने के बाद 21 अगस्त की रात दो जब वे ड्यूटी पर जा रहे थे तो कुछ अनजान लोगों ने उनसे शिकायत वापस लेने की बात कही और फिर जान से मारने की धमकी दी। अस्पताल के इमरजंसी वार्ड में रात के समय पांच-छह डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती थी, लेकिन इनमें से कई डॉक्टर ड्यूटी के दौरान गैर-हाजिर रहते थे।
इसके कारण ड्यूटी पर मौजूद एक-दो डॉक्टरों पर जरूरत से अधिक दबाव तो रहता ही था, साथ ही मरीजों की देखभाल भी प्रभावित होती थी। इसकी शिकायत उन्होंने मौखिक तौर पर विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों से की, लेकिन ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उन्हें ही परेशान किया जाने लगा। आरोप है कि सीएमओ सहित अन्य डॉक्टरों ने गुटबंदी करके सोलंकी खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। इस शिकायत में डॉ सोलंकी के काम और आचरण पर असंतोष जताया गया और कहा गया कि इमरजंसी वार्ड के हिसाब से उनका काम संतोषजनक नहीं है, इसलिए उन्हें किसी दूसरी जगह भेज दिया जाए। इस बारे में अस्पताल प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉ सोलंकी के खिलाफ जांच चल रही है। उनका व्यवहार सहयोगियों व मरीजों के प्रति ठीक नहीं है।