तबादलों व नियुक्तियों के मामले में दिल्ली सरकार ने कहा, आदेश मानें या करें कोर्ट की अवमानना का सामना

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली में हुकूमत के अधिकार को लेकर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार का टकराव थमा नहीं है। मुख्य सचिव ने वर्ष 2015 के गृह मंत्रालय के आदेश का हवाला देकर तबादलों व नियुक्तियों के मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आदेश को मानने से इनकार कर दिया है। दूसरी ओर सिसोदिया ने संबंधित आदेश की फाइल सेवाएं विभाग के सचिव को गुरुवार को दोबारा भेजकर कहा कि वे या तो आदेश मानें या फिर उन पर कोर्ट के अवमानना की कार्रवाई होगी। मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को कहा कि तबादलों व नियुक्तियों को लेकर बुधवार को जारी आदेश न मानने वाले नौकरशाहों पर कार्रवाई करने का विचार कर रही है सरकार। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका भी दाखिल की जा सकती है।

इस बीच, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने एक ब्लॉग लिखकर दिल्ली के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि अदालत के आदेश से यह स्पष्ट है कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है। उन्होंने अफसरों की नियुक्ति व तबादलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अभी कई ऐसे मसले हैं जिनको लेकर अदालत ने स्थिति साफ नहीं की है। लिहाजा जब तक इन मुद्दों पर साफ-साफ राय नहीं बनती तब तक कोई नहीं कह सकता कि अदालत का फैसला उसके पक्ष में है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को एक पत्र लिखकर स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भूमि, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़कर बाकी तमाम मामले दिल्ली सरकार के अधीन हैं। अफसरों व कर्मचारियों के तबादले व नियुक्तियों का अधिकार भी अब दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है। उन्होंने अपने पत्र में उपराज्यपाल को आगाह किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप वे शुक्रवार को अलग अलग मामलों में आदेश जारी करने जा रहे हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि राजनिवास से उनको पूरा सहयोग मिलेगा। उन्होंने उपराज्यपाल से यह भी कहा है कि यदि उन्हें इस बारे में कुछ कहना है तो दिल्ली मंत्रिमंडल के अपने सदस्यों के साथ वे राजनिवास आ सकते हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के आदेश के बाद दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक हुई और उसके बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आदेश जारी कर दिया कि अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक के तबादले अब मुख्यमंत्री व मंत्री करेंगे। इस मामले में उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और अन्य विभागाध्यक्षों को हासिल अधिकार को सिसोदिया ने अपने आदेश से वापस ले लिया। देर रात में मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर उपमुख्यमंत्री को जानकारी दी कि वे उनका आदेश नहीं मानेंगे क्योंकि अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के 21 मई, 2015 के उस आदेश को नहीं खारिज किया है जिसमें साफ कहा गया है कि तबादलों व नियुक्तियों का अधिकार गृह मंत्रालय व उपराज्यपाल के पास है। खुद उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

मुख्य सचिव के पत्र के जवाब में केजरीवाल ने उपराज्यपाल को लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश का कोई मतलब नहीं है और सेवाएं विभाग अब पूरी तरह दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधीन है। इसी आदेश की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि ऐसे मसलों को लेकर जब तक अदालत अपनी राय स्पष्ट नहीं करती तब तक पुरानी स्थिति कायम रहेगी। वहीं केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा, अदालत के आदेश से यह स्पष्ट है कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है। अभी कई ऐसे मसले हैं जिन्हें लेकर अदालत ने स्थिति साफ नहीं की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *