तबीयत पस्त होने पर जब मनोज बाजपेयी को रात भर लगाने पड़े थे ट्रेन की बोगियों के चक्कर

बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी आज अपने अभिनय के दम पर बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। लेकिन मनोज के लिए बॉलीवुड में एंट्री लेना कतई आसान नहीं था। मनोज के पिता बॉलीवुड फिल्मों को देखना बेहद पसंद करते थे और उनका काम भी एक थियेटर से दूसरे थियेटर तक फिल्मों की रील पहुंचाना था। मनोज कुमार से प्रभावित होकर उन्होंने अपने बेटे का नाम मनोज बाजपेयी रख दिया था। मनोज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता की तरह उन्हें भी फिल्मों का शौक शुरू से ही रहा है। वह थियेटर में खूब फिल्में देखते थे। वह चाहते थे कि फिल्म यूं ही चलता रहे और कभी खत्म ही ना हो। मनोज ने बताया कि उनके बचपन का एक दोस्त जब दिल्ली के हंसराज कॉलेज में एडमिशन के लिए आ रहा था तो उन्होंने उससे उन्हें भी साथ ले जाने को कहा। दोस्त ने मनोज की बात मान ली और उसे अपने साथ लाने को तैयार हो गया।

मनोज के दोस्त के पास स्लीपर की टिकट थी। लेकिन मनोज के पास जनरल की। ट्रेन स्टेशन से चली और मनोज अपने दोस्त के साथ दिल्ली के सपने लिए बैठ गए। इसके साथ ही उन्हें टीटी का डर भी सता रहा था क्योंकि वो जनरल की टिकट से स्लीपर में सफर कर रहे थे। मनोज ने कहा कि उनके अंदर उस समय टीटी का इतना डर था कि वह पूरी रात ट्रेन की बोगियों के चक्कर ही काटते रह गए। उस दौरान मनोज को 102 डिग्री बुखार भी था।

मनोज ने बताया था वह दिल्ली के यमुना विहार, मुखर्जी नगर, शकरपुर और तिलक ब्रिज में रह चुके हैं। मनोज को तीन बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से रिजेक्ट भी किया गया लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास करते रहे। एनएसडी से पासआउट स्टूडेंट्स उन दिनों ‘संभव’ नाम का थिएटर ग्रुप चलाते थे। मनोज अक्सर वहीं जाते थे।

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