तमिलनाडु के डिप्टी सीएम बोले- कोई और मेरी जगह होता तो आत्महत्या कर लेता, मोदी की सलाह मानी

तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने शनिवार (17 फरवरी, 2018) को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी जगह और कोई होता तो अबतक आत्महत्या कर लेता। पन्नीरसेल्वम ने कहा, ‘दिवंगत जय जयललिता की मृत्यु के बाद मैंने बहुत परेशानिंया, बेइंतहा उत्पीड़न झेला है। मेरी जगह कोई होता तो अबतक आत्महत्या कर लेता। मैंने सबकुछ झेला सिर्फ अम्मा (जयललिता) के लिए। इस दौरान डिप्टी सीएम ने आगे कहा, ‘पीएम मोदी ने मुझसे कहा कि पार्टी को बचाने के लिए AIAMKK के दोनों पक्षों का विलय कराना चाहिए। मैं इसके लिए तैयार हुआ लेकिन साथ ही कहा कि मंत्रीपद नहीं लूंगा, सिर्फ पार्टी का पदाधिकारी रहकर काम करुंगा, लेकिन प्रधानमंत्री मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे राजनीति के साथ मंत्री भी बने रहना चाहिए। यही वजह है कि आज मैं एक मंत्री हूं।’

बता दें कि इससे पहले उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने शुक्रवार को एक सभा को संबोधित किया था। तब उन्होंने कहा कि सरकार किसानों एवं लोगों को उच्चतम न्यायालय के फैसले में राज्य के हिस्से में दिये गये 177.25 टीएमसी फुट पानी दिलाने के लिए पूरी तत्परता से काम करेगी। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक सरकार को अपने अंतर-राज्यीय बिलीगुडलू बांध से तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी फुट पानी जारी करने का निर्देश दिया। पन्नीरसेल्वम ने कहा, ‘सरकार किसानों एवं लोगों को उच्चतम न्यायालय के फैसले में राज्य के हिस्से में दिये गए 177.25 टीएमसी फुट पानी दिलाने के लिए पूरी तत्परता से काम करेगी।’ इस फैसले में स्पष्ट किया गया है कि कर्नाटक के हिस्से में अब सलाना 14.75 टीएमसीफुट अधिक पानी आएगा जबकि तमिलनाडु को 404.25 टीएमसीफुट पानी मिलेगा जो 2007 में न्यायाधिकरण द्वारा आवंटित पानी से 14.75 टीएमसी फुट पानी कम है।

इस बीच द्रमुक ने आरोप लगाया है कि सरकार ने शीर्ष अदालत में राज्य का पक्ष उपयुक्त ढंग से नहीं रखा जिससे तमिलनाडु को कावेरी का कम पानी आवंटित किया गया। इस पर पन्नीरसेल्वम ने कहा, ‘द्रमुक ने कब हमें कावेरी का पानी दिलाया? मैं उसे याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस नीत संप्रग का हिस्सा होने के बावजूद द्रमुक शासन न्यायाधिकरण के अंतिम फैसले को केंद्रीय गजट में प्रकाशित नहीं करवा पाया था।’ कार्यकारी द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कावेरी मुद्दे पर अगली रणनीति तय करने के लिए राजनीतिक दलों एवं किसान संघों की बैठक बुलाने की मांग की है।

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