तेजस्वी यादव की मोहन भागवत को चुनौती- हिम्मत है तो संघ के निक्कर गैंग को भेजें डोकलाम

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) प्रमुख मोहन भागवत को चुनौती दी है कि अगर हिम्मत है तो वो संघ के स्वयंसेवकों को डोकलाम भेजें। तेजस्वी की यह प्रतिक्रिया मोहन भागवत के उस बयान के बाद आई है जिसमें भागवत ने कहा था कि सेना को युद्ध के लिए तैयार होने में छह महीने लग सकते हैं लेकिन संघ के कार्यकर्ता तीन दिन में ही तैयार हो सकते हैं। तेजस्वी यादव ने इसी पर प्रतिक्रिया जताते हुए ट्विटर पर लिखा है, “मोहन भागवत में हिम्मत है तो डोक़लाम में भेज दे संघियों को। क्यों बिल में छुपे है? चीनी हमारे देश में घुसे हुए है। पाकिस्तानी प्रतिदिन हमला करते है। सेना और सैनिकों का अपमान बंद कर अपनी निक्कर गैंग को वहाँ भेजे। थूक के पकौड़े ना उतारे।”

अपने दूसरे ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा है, “किसी एक संघी का नाम बताओ जो सीमा पर शहीद हुआ हो या उसके परिवार से कोई शहीद हुआ हो। सेना का अपमान करना बंद करों। संघियों का देश को आज़ाद कराने में नहीं ग़ुलाम रखने में योगदान था।” #ApologiseRSS तेजस्वी के ट्वीट पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। एक यूजर ने लिखा है, “आप की भाषा बता रही है की आप अनपढ़ हो और अनपढ़ो जैसी बात भी करते हो। मर्यादा तो आप के भाषा में होता नहीं है खैर मर्यादा तो आप के संस्कार में ही नहीं है। आप का ये ट्वीट बताता है की आप 9 वी फ़ैल ही नहीं बल्कि पूरी तरह से अनपढ़ भी हो।” दूसरे यूजर ने लिखा है,  “भाषा का स्तर देखिये । अपने शहाबुद्दीन के गैंग को भेज दीजिये श्रीमान या केवल निरीह बिहार वासियों पर ही तुम्हारे औऱ शहाबुद्दीन के गुंडों का जोर चलता है ?”

बता दें कि रविवार (11 फरवरी) को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार के मुज्फ्फरपुर में कहा था कि अगर संविधान और कानून इजाजत देगा तो हम तीन दिन के अंदर स्वयंसेवकों को तैयार कर सीमा पर युद्ध के लिए तैनात कर सकते हैं, जबकि सेना को तैयार होने में छह महीने का वक्त लगता है। उन्होंने कहा था कि आएएसएस में अनुशासन है जिसकी वजह से ही ऐसा संभव हो सकता है। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सफाई दी है और कहा है कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया है। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख ने भारतीय सेना का अपमान नहीं किया है जबकि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है।

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