…तो क्या इसलिए ही महिलाएं कोई भी बात अपने पेट में नहीं पचा पातीं? जुड़े हैं महाभारत से तथ्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कई ऋृषि और मुनियों ने क्रोधित होने पर श्राप दे दिया है लेकिन ऐसे कई श्राप महाभारत के काल में दिए गए थे और आज भी उनका असर धरती पर दिखता है। उनमें से एक है जब पाडंवों ने स्वर्गलोक जाने से पहले अपना सारा राज पाठ अभिमन्यु के बेटे परीक्षित को दान दे दिया। कहते हैं कि राजा परीक्षित के शासन में सभी प्रजा सुखी थी। एक बार वह वन में आखेट खेलने गए थे, तभी उन्हें शमीक नामक ऋषि मिले, जो मौन व्रत धारण कर तपस्या में लीन थे। परीक्षित उनसे कई बार बोलने का प्रयास करते हैं, जवाब नहीं मिलने पर परीक्षित को गुस्सा आ गया और उन्होंने ऋषि के गले में एक मारा हुआ सांप डाल दिया। जब ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी को इसका पता चला, तो उन्होंने परीक्षित को श्राप दे दिया की आज से सात दिन बाद तक्षक नाग के काटने से परीक्षित की मृत्यु होगी। कहते हैं कि परीक्षित के रहते धरती पर कलयुग हावी नहीं हो सकता था, इसलिए उनके मरते ही कलयुग पूरी पृथ्वी पर हावी हो गया।
श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप-
महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का धोखे से रात को सोते समय वध कर दिया था। तब अश्वत्थामा का पीछा करते हुए पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक पहुंचे। मगर, उसके बाद अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र से पांडवों पर वार किया। ये देखकर अर्जुन ने भी अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा। तभी महर्षि व्यास ने इन दोनों बह्मास्त्रों को टकराने से रोक लिया। इन दोनों को महर्षि व्यास ने अपने अस्त्र लेने को वापस कहा, लेकिन अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र को वापस लेने का ज्ञान नहीं था, जिसके लिए उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी। इससे भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित होकर अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और तुम यहां रहकर भी किसी से बातचीत नहीं कर पाओगे और पशु के समान वन में रहोगे। कई जगहों पर अश्वस्थामा के शिव मंदिर में सबसे पहले पूजा करने के किस्से आज भी सुने जाते हैं।
युधिष्ठिर ने दिया था महिलाओं को श्राप-
महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद माता कुंती ने पांडवों को यह रहस्य बताया की कर्ण उनका बड़ा भाई था। यह जानकर पांडव दुखी हो जाते हैं। युधिष्ठिर विधि-विधान से कर्ण का अंतिम संस्कार करते हैं और उसी क्षण उन्होंने समस्त स्त्री जाति को यह श्राप दे देते हैं कि कोई भी महिला कोई बात अपने पेट में छिपा कर नहीं रख सकेगी। इस श्राप का प्रभाव आज भी है