तो क्‍या एनआईए की जांच के दायरे में आई पीएफआई की राजनीति‍क शाखा से मेवानी ने लि‍या चंदा?

दलि‍तों के पक्ष में आवाज उठा कर गुजरात की राजनीति‍ में अपना स्‍थान सुनि‍श्‍चि‍त करने की कोशि‍श में जुटे दलि‍त नेता जि‍ग्‍नेश मेवानी की मुश्‍कि‍लें बढ़ सकती हैं। उन्‍हें केरल के वि‍वादि‍त संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडि‍या (पीएफआई) की राजनीति‍क शाखा एसडीपीआई से चुनावी चंदा लेते हुए देखा गया है। आतंकी गति‍वि‍धि‍यों में संलि‍प्‍तता को लेकर यह संगठन एनआईए की नजरों में है। मेवानी ने कि‍तने रुपये का चंदा लि‍या इस बात का पता नहीं चल सका है। मालूम हो कि‍ गुजरात वि‍धानसभा में कांग्रेस मेवानी का समर्थन कर रही है। पार्टी ने दलि‍त नेता के पक्ष में अपने उम्‍मीदवार को दूसरी सीट से लड़ाने का फैसला कि‍या है।

न्‍यूज चैनल टाइम्‍स नाऊ की रि‍पोर्ट में मेवानी द्वारा एसडीपीआई से चुनावी चंदा लेने की बात कही गई है। पीएफआई के नेताओं ने जि‍ग्‍नेश को चंदा देने की बात स्‍वीकार की है। हालांकि‍, उन्‍होंने रकम का खुलासा नहीं कि‍या है। मेवानी की ओर से इस पर कोई प्रति‍क्रि‍या नहीं दी गई है। एसडीपीआई से जुड़ी संस्‍था की ओर से जि‍ग्‍नेश को दि‍ए गए चुनावी चंदे को गुजरात वि‍धानसभा चुनावों में संगठन द्वारा उन्‍हें समर्थन देने से जोड़ कर देखा जा रहा है। पीएफआई कार्यकर्ताओं पर केरल में वामपंथी और अखि‍ल भारतीय वि‍द्यार्थी परि‍षद के कार्यकर्ताओं की हत्‍या करने का आरोप है। इसके अलावा प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काटने के मामले में भी पुलि‍स ने संगठन के कार्यकर्ताओं के खि‍लाफ केस दर्ज कि‍या है। इस मामले में पीएफआई के 27 कार्यकर्ताओं के खि‍लाफ अदालत में आरोपपत्र दाखि‍ल कि‍या जा चुका है। आतंकी गति‍वि‍धि‍यों में संलिप्‍तता को लेकर एनआईए की नजर भी इस संगठन पर है। इस संगठन के तार प्रति‍बंधि‍त संगठन सि‍मी से भी जोड़ा जाता है। संदि‍ग्‍ध स्‍थि‍ति‍ को देखते हुए पीएफआई को गैरकानूनी गति‍वि‍धि‍ रोकथाम कानून के तहत प्रति‍बंधि‍त करने की मांग भी की जा रही है। इस मामले एनआईए फि‍लहाल जांच पड़ताल कर रही है। केरल में संस्‍था के कई कार्यकर्ताओं के खि‍लाफ कई मामले दर्ज कि‍ए गए हैं।

 

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