…तो लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसलिए पढ़ी बशीर बद्र की शायरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बशीर बद्र के ही एक शेर से जवाब दिया। पीएम मोदी बुधवार (7 फरवरी) को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोल रहे थे। इससे एक दिन पहले कांग्रेस नेता खड़गे ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था, ‘दुश्मनी जम कर करो, लेकिन यह गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएं, तो शर्मिंदा न हों।’ मोदी ने लोकसभा में बशीर बद्र का ही एक और शेर पढ़ते हुए कहा, ‘जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नहीं होता।’ पीएम मोदी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा, ‘आपने मंगलवार (6 फरवरी) को अपने भाषण में मशहूर शायर बशीर बद्र की एक शायरी पढ़ी थी, लेकिन सुविधानुसार उसके बाद की लाइनों को नहीं पढ़ा था।’ लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान केंद्र में सत्तारूढ़ राजग के घटक दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के सदस्य आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग को लेकर विरोध करने लगे थे। वे सदन के वेल में पहुंच गए थे। इसके कारण भारी शोर-शराबे के बीच पीएम मोदी को अपनी बात सदन के समक्ष रखनी पड़ी।
प्रधानमंत्री ने खड़गे के बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि यह संसद में उनका आखिरी भाषण हो सकता है। कांग्रेस के नेता के भाषण से यह पता ही नहीं चल सका कि वह ट्रेजरी बेंच या कर्नाटक की जनता या फिर अपने ही नेताओं को संबोधित करना चाह रहे थे। मोदी ने कहा, ‘कर्नाटक लोकतंत्र की जन्मभूमि है। 12वीं सदी में अनुभव मंटपा आंदोलन लोकतंत्र की दिशा में पहला कदम था। यह कर्नाटक में ही हुआ था। लेकिन, कांग्रेस ने कई बार इसे कुचलने का काम किया। भारत में लोकतंत्र पंडित नेहरू की वजह से नहीं आया था, जैसा कि कांग्रेस हमें विश्वास दिलाना चाहती है। कृपा करके अपने समृद्ध इतिहास को पलट कर देखें। सदियों पहले लोकतांत्रिक परंपराओं के कई उदाहरण मिल जाएंगे।’ प्रधानमंत्री ने खड़गे को संबोधित करते हुए कहा, ‘आपने एक परिवार का गुणगान किया है, जिसके चलते चुनाव के बाद आपको विपक्ष के नेता की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला है। जब आपकी पार्टी के भीतर चुनाव चल रहा था तो आपकी ही पार्टी के नेता ने कहा था, जहांगीर की जगह शाहजहां आए।’