त्योहारी मौसम में महंगी हुई खाने की थाली

त्योहारों के मौके पर राजधानी में सब्जियों के दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं। ज्यादातर सब्जियों में इस्तेमाल होने वाला प्याज और टमाटर के दामों में तो लगातार उछाल आ रहा है। पहले दशहरे के बाद नई फसल की सब्जी आने से, लगातार दामों में गिरावट होती थी। लेकिन इस बार नई फसल की आवक भी आ गई है, लेकिन सब्जियों के दामों में गिरावट होने के बजाए दामों ने बढ़ना शुरू कर दिया है। त्योहारों के मौकों पर तो पहले ही ज्यादातर परिवारों के खर्चे बढ़ जाते हैं। अब सब्जियों के दामों में हुई बढ़ोतरी ने लोगों के घरों का बजट ही बिगाड़ दिया है। महंगी सब्जियों से महंगी हुई खाने की थाली ने लोगों का स्वाद खराब कर दिया है।

राजधानी के फुटकर बाजारों में प्याज 50 रुपए और टमाटर 60 रुपए किलों से कहीं भी कम नहीं है। पहले ये दोनों इन्हीं दिनों में 20 रुपए किलों के करीब बिकते रहे हैं। पर इस बार दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सब्जियों के दामों में तो बीते एक पखवाड़े में बढ़ोतरी शुरू हुई है। सब्जियों के दामों में हुई बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह बरसात बताई जा रही है। जिन राज्यों में बरसात कम हुई है, वहां पर कच्ची फसल को ही उखाड़ना पड़ गया, जिसे बाजार में जल्द ही बेचना पड़ा है। सब्जियों के बढ़ रहे दामों पर किसी का नियंत्रण नहीं रह गया है। इस मामले में केंद्र सरकार हो या फिर दिल्ली की सरकार, दोनों ही एक दूसरे पर दोषारोपण कर देती हैं।

टमाटर की सबसे ज्यादा खपत दक्षिणी भारत में है। बाजार में जब दक्षिण भारत में टमाटर की मांग बढ़नी शुरू हो जाती है, तो उन राज्यों में अच्छी कीमतों पर टमाटर जाना शुरू हो जाता है। उसका असर उत्तरी भारत पर आता है। यहां के बाजारों में थोक मंडियों के जरिए टमाटर महंगा बिकना शुरू हो जाता है। जहां तक प्याज की कीमतों में हुए इजाफे का कारण उसकी खेती का कम होना है। देश मे प्याज की सबसे ज्यादा खेती करने वाले राज्य तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में इस साल किसानों ने प्याज की खेती कम की है। किसानों ने टीवी चैनलों पर देखा कि देश के कई राज्यों में किसान प्याज को सड़कों पर नाराजगी में फेंक रहें हैं, क्योंकि उन्हें उसकी खेती का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। उसका असर दक्षिण राज्य के किसानों पर पड़ा है। उन्हें लगा कि यदि उन्होंने प्याज की खेती की तो उन्हें उसकी उचित कीमत नहीं मिलेगी। खेती कम होने से बाजारों में जितना प्याज आना चाहिए था, वह नहीं आ रहा है। फुटकर बाजारों में सब्जियों के दामों में सिर्फ एक पखवाड़े में हुई बढ़ोतरी को देखे, तो वह हैरान करने वाली है।

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