थमा नहीं पंजाब में धर्मगुरुओं की हत्याओं का सिलसिला, कठघरे में कानून-व्यवस्था, सुराग लगाने में नाकाम सुरक्षा तंत्र

जीव शर्मा    

पंजाब में एक के बाद एक लगातार हो रही हिंदू नेताओं व धर्मगुरुओं की हत्या की घटनाओं ने कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। पिछले दो वर्षों के दौरान पंजाब में लगातार जहां हिंदू नेताओं की हत्याएं हो रही है वहीं धर्मगुरुओं को मौत के घाट उतारा जा रहा है। इनमें से कई मामलों की जांच भले ही सीबीआइ कर रही हो, लेकिन आज तक हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।  पंजाब में चाहे अकाली-भाजपा सरकार हो या फिर मौजूदा कांग्रेस सरकार सत्ता में हो, लेकिन धार्मिक प्रतिनिधियों पर होने वाले हमले कम नहीं हुए हैं। दिलचस्प यह है कि यह अगर एक-आध घटनाक्रम को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर में हमलावरों के निशाने पर वे धार्मिक प्रतिनिधि रहे हैं जो न तो कभी लाइमलाइट में आते हैं, न ही उनकी गिनती प्रथम पंक्ति के धर्मगुरुओं में होती है। ऐसे में खुफिया एजंसियों पर सवालिया निशान लग रहा है।

हालांकि पंजाब में धर्मगुरुओं पर जानलेवा हमलों की घटनाएं नई नहीं है। सूबे में जब आतंकवाद पूरे चरम पर था तो आतंकवादियों ने निरंकारी मिशन के प्रमुख की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा आतंकवाद के दौर में कई ऐसे धार्मिक प्रतिनिधियों को मौत के घाट उतारने की घटनाएं होती रही हैं जिन्होंने सिस्टम पर सवाल खडेÞ किए हैं। वर्षों पहले पंजाब में विवादित ग्रंथ लिखने वाले बाबा प्यारा सिंह भनियारा वाला पर कई बार हमले हो चुके हैं।जलंधर के गांव बल्लां में स्थापित रविदास समाज के डेरा सचखंड बल्लां के संत रामानंद की 24 मई 2009 को आॅस्ट्रिया के वियना में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हमले के दौरान डेरा सचखंड बल्लां के मौजूदा संत निरंजन दास भी जख्मी हुए थे। वियना में रविदास समाज का गुरुद्वारा है। जलंधर से दोनों संत रामानंद और संत निरंजन दास समाज का प्रचार के लिए वहां गए थे। छह लोगों ने गुरुघर में घुसकर गोलियां बरसाई थीं। अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले सिख प्रचारक संत रणजीत सिंह ढडरियां वाले पर 17 मई 2016 को हमला किया गया तो सभी सियासी नेता उनके दरबार में नतमस्तक हो गए। इस घटना में संत के सहयोगी बाबा भूपिंंदर सिंह ढक्की साहिब वाले की गोली लगने से मौत हो गई। पंजाब में पिछले दो वर्ष के दौरान ऐसे कई हत्याकांड हुए हैं,जिनमें जांच एजंसियों को आज तक कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है। हत्यारे बेखौफ होकर एक के बाद एक कई वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।

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