थल सेना प्रमुख रावत ने कहा- अफस्पा पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं

थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने जम्मू-कश्मीर व पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) पर किसी तरह के पुनर्विचार की जरूरत को खारिज कर दिया। रविवार को उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में यह अधिनियम लागू है, वहां के हालात के मद्देनजर पुनर्विचार या इसके प्रावधानों को शिथिल बनाने का अभी समय नहीं है।
इससे पहले आई खबरों में कहा गया था कि सरकार अफस्पा को ज्यादा मानवीय बनाने पर पुनर्विचार कर रही है। इस बाबत रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारियों के बीच कई दौर की उच्च स्तरीय बातचीत हो चुकी है। यह अधिनियम- ‘आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट’ (अफस्पा) सेना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। इसे लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगता रहा है। मानवाधिकार संगठन और स्थानीय गुट लंबे समय से अफस्पा को हटाने की मांग करते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में भाजपा के साथ सरकार चला रही पीडीपी हो या नेशनल कांफ्रेंस – वहां के राजनीतिक दल और नागरिक अधिकार संगठन इसे हटाने की मांग करते रहे हैं।

अब जनरल रावत के बयान से साफ हो गया है कि अफस्पा यथावत लागू रहेगा। एक इंटरव्यू में जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारतीय सेना गड़बड़ी वाले जम्मू-कश्मीर या पूर्वोत्तर के राज्यों में काम करते समय मानवाधिकार रक्षण के लिए पर्याप्त सावधानी बरतती है। थल सेना प्रमुख ने कहा कि अफस्पा में कुछ कठोर प्रावधान अवश्य हैं, लेकिन सेना यह सुनिश्चित करती है कि कानून के तहत उसके अभियानों से स्थानीय लोगों को असुविधा न हो। उन्होंने कहा, अफस्पा के तहत जितनी कठोर कार्रवाई की जा सकती है, उतनी कठोर कार्रवाई हम नहीं करते। हम मानवाधिकारों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। जनरल रावत ने कहा कि सेना के पास यह सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर कार्य नियम होते हैं। उन्होंने कहा कि अफस्पा सक्षम बनाने वाला एक कानून है, जो सेना को विशेष तौर पर काफी कठिन क्षेत्रों में काम करने की अनुमति देता है और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि सेना का काफी अच्छा मानवाधिकार रिकॉर्ड रहा है।

क्या जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के लिए सेना के तीनों अंगों के संयुक्त अभियान की जरूरत है? इस सवाल का रावत ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के पास विभिन्न तरह के अभियान चलाने के लिए सभी विकल्प उपलब्ध होते हैं। जनरल रावत ने कहा कि अभियान की योजना बनाते समय सर्वाधिक उचित यही होगा कि कार्रवाई का तरीका सुरक्षाबल ही तय करें। अभियानों की योजना गोपनीय रखी जाती है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मद्देनजर क्या बाह्य व आंतरिक खुफिया एजंसियों में तालमेल की कमी है? इस पर थलसेनाध्यक्ष ने कहा कि सशस्त्र बल और सभी एजंसियां मिलकर काम करती हैं। खुफिया एजंसियों के साथ हमारा तालमेल उच्च दर्जे का है।

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