थाईलैंड रेस्क्यू: बच्चों को सुरक्षित बचाने में भारत का था ‘गुप्त’ हाथ, एक टीम लगातार कर रही थी मदद

थाईलैंड की गुफा से 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच को सही-सलामत निकालने में भारत का भी गुप्त हाथ था। विशेषज्ञों की एक टीम तकनीकी मदद के लिए तीन दिनों के उस मिशन में भारतीय कंपनी की ओर मुहैया कराई गई थी। यह टीम गुफा से 18 दिनों बाद सभी को बाहर लाने तक सक्रिय रही। रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद करने वाली कंपनी का नाम किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड (केबीएल) है, जिसका मुख्यालय महाराष्ट्र के पुणे में है।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान केबीएल की एंट्री तब हुई, जब भारतीय दूतावास की ओर से इसका नाम थाईलैंड के अधिकारियों और संबंधित विभाग को मदद के लिए सुझाया गया था। सुझाव में कहा गया था- ये कंपनी डीवॉटरिंग (पानी के स्तर को कम करने या उसे बाहर निकालना) में माहिर है।

जानकारी पर थाई अधिकारियों ने केबीएल से संपर्क साधा, जिसके बाद कंपनी ने भारत, थाईलैंड और यूनाइटेड किंगडम स्थित दफ्तर से कुछ टीमों को मौके पर भेजा था। केबीएल के विशेषज्ञ थाम लुआंग स्थित गुफा के पास पांच जुलाई से थे। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच तकनीकी रूप से सलाह दी, जिसमें डीवॉटरिंग और पंप से जुड़ी चीजें शामिल थीं।

इतना ही नहीं, भारतीय कंपनी ने ऑपरेशन के दौरान चार विशेष उच्च क्षमता वाले ऑटो प्राइम डीवॉटरिंग पंप भी मुहैया कराने का विकल्प पेश किया था। ये पंप महाराष्ट्र के किर्लोस्करवाड़ी प्लांट में थाईलैंड भेजे जाने के लिए तैयार रखे थे। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने मदद के लिए भारत को खास तौर पर शुक्रिया कहा है।

क्या है पूरा मामला?: थाईलैंड के उत्तरी हिस्से (पहाड़ी इलाका) में 23 जून को 12 बच्चों की फुटबॉल टीम कोच के साथ अभ्यास के लिए गई थी। अचानक भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात के चलते वे सब थाम लाउंग स्थित गुफा में फंस गए थे। सभी बच्चे 11 से 16 साल के बीच के हैं।

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