दिग्गज आईटी कंपनी के CEO बोले- 94 फीसदी IT ग्रेजुएट नौकरी के काबिल नहीं, ये हैं कारण
देश की जानी-मानी आईटी कंपनी टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने देश में इंजीनियरिंग एजुकेशन की क्वालिटी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि 94 फीसदी आईटी ग्रेजुएट देश की टॉप टेन आई कंपनियों में नौकरी करने के काबिल नहीं हैं। सीपी गुरनानी ने सवाल खड़े किये और कहा कि क्या हम लोगों को बेरोजगार रहने के लिए शिक्षा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंडियन आईटी इंडस्ट्री को स्किल की जरूरत है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट में स्किल की कमी की वजह बताते हुए उन्होंने एक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “दिल्ली जैसे शहर में मैं आपको एक उदाहरण देता हूं, 60 फीसदी नंबर लाने वाला एक लड़का आज बीए-इंग्लिश में दाखिला नहीं ले सकता है, हां, लेकिन वो इंजीनियरिंग आसानी से कर सकता है, मेरा कहना ये है कि क्या हम बेरोजगार रहने के लिए तैयार नहीं कर रहे हैं…भारत की आईटी कंपनियों को स्किल चाहिए, उदाहरण के लिए, नॉसकॉम कहता है कि 2022 तक सायबर सिक्युरिटी के क्षेत्र में 60 लाख लोग चाहिए, लेकिन हमारे पास स्किल की कमी है, अगर हमें रोबोटिक्स के लिए स्टाफ चाहिए और मुझे मेनफ्रेम के लिए एग्जिक्यूटिव मिलता है तो इससे स्किल गैप बढ़ता है, ये एक बड़ी चुनौती है।”
बता दें कि सीपी गुरनानी अपनी कंपनी को मैनपावर स्किलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्यॉरिटी, मशीन लर्निंग जैसी नई टेक्नॉलजी से रू-बरू करवाना चाहते हैं। दरअसल वे अपनी कंपनी को अगले जेनरेशन में ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “अगर आप टेक महिंद्रा में आते हैं तो मैंने पांच एकड़ में टेक्नॉलजी लर्निंग सेंटर बनाया है, दूसरी टॉप कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए इसी तरह का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सीखने की योग्यता, स्किल डेवलपमेंट, मार्केट के लिए वर्कफोर्स को तैयार करना, अब इनकी जिम्मेदारी कंपनियों पर आ गई है।” उन्होंने आगे कहा, “इन सब के बावजूद टॉप टेन आईटी कंपनियां इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स का सिर्फ 6 प्रतिशत लोगों को ही नौकरी पर रखती हैं, बाकी बचे 94 फीसदी लोगों का क्या होता है?”
टेक महिन्द्रा के सीईओ ने कहा कि ऑटोमेशन, प्रोडक्टिविटी, मशीनों में बदलाव का असर नौकरी पर पड़ा है। उन्होंने बताया कि पहले प्रत्येक 10 लाख डॉलर की आय पर 20 लोगों को नौकरी दी जाती थी, लेकिन अब एक मिलियन डॉलर की कमाई पर 15 लोगों को ही नौकरी मिल पाती है। साफ है अब इंडस्ट्री को 25 फीसदी कम लोगों की जरूरत है।