दिल्ली का कोई सरकारी विभाग भ्रष्टाचार से अछूता नहीं
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का संकल्प लेकर दिल्ली की सत्ता पर विराजमान हुई आम आदमी पार्टी (आप) के विभागों में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ रहा है कि उसके सारे दावे झूठे साबित हो रहे हैं। दिल्ली सरकार का ऐसा कोई विभाग नहीं है जो भ्रष्टाचारियों से अछूता है। भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली पुलिस और नगर निगमों को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग पहले पायदान पर आ गया है। भ्रष्टाचारियों की धरपकड़ करने वाली एजंसी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। राजस्व विभाग इस मामले में दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा पीडब्लूडी, डीडीए, बिजली कंपनी बीएसईएस, आयकर विभाग, दिल्ली परिवहन विभाग, कोआॅपरेटिव सोसाइटी, ट्रेड एंड टैक्स और दिल्ली विश्वविद्यालय भी भ्रष्टाचार के मामले में पीछे नहीं है। अण्णा हजारे की अगुआई में रामलीला मैदान में आंदोलन कर और भ्रष्टाचारियों पर रोक लगाने के दावे के साथ राजनीति में आई आपइस मुद्दे पर कभी दिल्ली पुलिस से तो कभी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से लड़ती रही, लेकिन फिर भी वह अपने ही भ्रष्ट नेताओं पर लगाम नहीं लगा पाई।
एसीबी के साल 2012 से 2017 के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के 109 कर्मचारी भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए। भ्रष्टाचारियों को सामने लाने की मुहिम व सूचना के अधिकार के लिए लड़ने वाले जीशान हैदर ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से एक जनवरी 2012 से 30 जुलाई 2017 तक के आंकड़े मुहैया कराने की मांग की। वे उन विषयों पर आंकड़े चाहते थे, जिनका आम लोगों से किसी न किसी तरह से सीधा संबंध है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के जन सूचना अधिकारी ने जो आंकड़े पेश किए हैं उसके मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के 13 कर्मचारियों को साल 2012 में, छह कर्मचारियों को 2013 में और एक कर्मचारी को 2014 में भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया। इसी तरह राजस्व विभाग के पांच-पांच कर्मचारी 2012-2013 में, तीन कर्मचारी 2014 में, दो कर्मचारी 2015 में और चार कर्मचारी 2016 में शाखा के चंगुल में आने से बच नहीं सके। दिल्ली नगर निगम भ्रष्टाचारियों की सूची में तीसरे स्थान पर है। निगम के दो कर्मचारी 2012 में, तीन कर्मचारी 2013 में, पांच कर्मचारी 2014 में और तीन कर्मचारी 2015 में शाखा के हत्थे चढ़े। राजधानी की सुरक्षा का दंभ भरने वाली दिल्ली पुलिस एसीबी की भ्रष्टाचारियों की सूची में चौथे स्थान पर है। हालांकि दिल्ली पुलिस की अपनी सतर्कता शाखा है, जिसका काम विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कसना है। इसके बावजूद दिल्ली पुलिस के दो कर्मचारी साल 2012 में, चार 2013 में, पांच 2014 में और एक 2016 में एबीसी के शिकंजे में आया।
इसी तरह दिल्ली जल बोर्ड के एक-एक कर्मचारी 2012-2013 में, पांच-पांच 2014-2015 में और एक कर्मचारी 2016 में एसीबी के हाथों धरा गया। इन पांच सालों में पीडब्लूडी के तीन, दिल्ली परिवहन निगम का एक, डीडीए के तीन, राजस्व विभाग के 14, बीएसईएस के तीन, सीपीडब्लूडी का एक, शिक्षा विभाग के 12, आयकर विभाग के चार और कोआॅपरेटिव सोसाइटी व ट्रेड एंड टैक्स के एक-एक कर्मचारियों को शाखा ने चंगुल में लिया। एसीबी ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली विश्वविद्यालय का अलग से जिक्र किया है और कहा है कि उसने विश्वविद्यालय के दो कर्मचारियों को भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्त में लिया है।