दिल्ली को धुएं और धुंध से बचाने की तैयारी
केंद्र, दिल्ली और पंजाब सरकार ने दिल्ली-एनसीआर को ‘दि ग्रेट स्मॉग’ यानी धुएं और धुंध की जहरीली चादर से बचाने के लिए कमर कस ली है। खासकर पंजाब सरकार खेतों में किसानों की ओर से पराली यानी फसल के अवशेष जलाने पर सख्ती से पेश आ रही है और साथ ही कुछ अनोखे वैज्ञानिक उपाय भी किए हैं। पिछले साल दिवाली के बाद करीब 10-12 दिनों तक धुएं और धुंध की बेहद घनी चादर ने पूरी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसे मीडिया ने ‘दि ग्रेट स्मॉग’ का नाम दिया था। ‘स्मॉग’ के कारण लोगों ने सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, आंखों में जलन, दमा और एलर्जी की शिकायत की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को आपातकालीन उपाय करने के निर्देश दिए थे।
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और दिवाली में बड़े पैमाने पर आतिशबाजी को इस जहरीले ‘स्मॉग’ का प्रमुख कारण बताया गया था। पराली जलाने पर लगाम के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर पंजाब सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव और कृषि विभाग के प्रमुख सचिव एमपी. सिंह ने बताया कि पराली जलाने पर रोक की खातिर कुछ तात्कालिक और दीर्घकालिक कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि दिल्ली को ‘स्मॉग’ की चपेट में आने से बचाया जा सके और पंजाब में भी प्रदूषण का स्तर कम रहे। उन्होंने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों पर 2500 से 5000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा रहा है।
सिंह ने बताया, ‘जिलों में उपायुक्तों की अगुआई में गठित टीमें पराली जलाने पर नजर रख रही है। रिमोट सेंसिंग एजंसी के जरिए सरकारी एजंसियों को सूचित किया जाता है कि किस इलाके में पराली जलाई जा रही है। फिर यह जानकारी संबंधित पुलिस स्टेशनों को दी जाती है और कांस्टेबल उन खेतों में जाकर पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार ने एक ‘सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट’ (एसएसएम) सिस्टम बाकी पेज 8 पर भी शुरू किया है, जिसके तहत किसान खास तरह की मशीनों के जरिए फसलों की कटाई करते हैं। फसलों की कटाई के बाद पराली छोटे-छोटे टुकड़ों में खेतों में बिखर जाती है। इससे पराली जलाने की नौबत भी नहीं आती और खेतों की उर्वरा-शक्ति बरकरार रहती है।’ सिंह ने बताया कि किसानों को धान की खेती कम करके मक्के जैसी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की कवायद की जा रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए किसानों को राजी करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अध्यक्ष केशव चंद्रा ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर को जहरीले ‘स्मॉग’ से बचाने के लिए केंद्र की निगरानी में दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्य सरकारों के साथ लगातार प्रभावी कदम उठाए जाने की कार्य योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा केंद्र ने पिछले दिनों एक समीक्षा बैठक भी बुलाई थी। चंद्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने त्योहारों के मद्देनजर दिल्ली के बाजारों में बारूद-पटाखों की बिक्री संबंधी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तेज कर दी है और निगरानी दल आने वाले कुछ दिनों में छापेमारी शुरू कर देंगे। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी में आयोजित ‘किसान मेले’ में किसानों ने संकल्प लिया कि वे पराली नहीं जलाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे जागरूकता अभियानों से प्रदूषण की समस्या से बहुत हद तक निजात मिल सकती है। बहरहाल, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरामेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि सीपीसीबी या अन्य सरकारी एजंसियों की तरफ से किए जा रहे दावों की हकीकत का पता अक्तूबर-नवंबर के महीने में ही चल पाएगा।