दिल्ली: फीस वापसी के लिए नोटिस जारी करने के फैसले पर लगी मुहर

उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद शिक्षा निदेशालय इन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की कार्रवाई शुरू करेगा, जिसका उचित जवाब नहीं मिलने पर सरकार की ओर से इन स्कूलों को अपने नियंत्रण में लेने की दिशा में कार्रवाई की जा सकती है।

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार की ओर से 449 निजी स्कूलों को अतिरिक्त फीस की वापसी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने के फैसले को मंजूरी दे दी है। इन स्कूलों में कई नामी-गिरामी स्कूल शामिल हैं और आरोप है कि इन निजी स्कूलों ने बढ़ी फीस को 9 फीसद ब्याज के साथ वापस नहीं लौटाया है। अब उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद शिक्षा निदेशालय इन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की कार्रवाई शुरू करेगा, जिसका उचित जवाब नहीं मिलने पर सरकार की ओर से इन स्कूलों को अपने नियंत्रण में लेने की दिशा में कार्रवाई की जा सकती है।

दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के चेयरमैन आरसी जैन का कहना है कि अदालत के आदेश का सम्मान करते हुए स्कूलों ने अतिरिक्त फीस वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिन्होंने शुरू नहीं किया है वो अदालत चले गए हैं, अदालत ने कहा कि पहले अदालत में पूरे पैसे जमा कराएं, इस पर स्कूलों ने अदालत में पैसा जमा कराया है। उन्होंने अपनी बात अदालत के सामने रखी है, अगर वे जीत जाते हैं तो पैसा वापस, हार जाते हैं तो पैसा अदालत से अभिभावकों को जारी हो जाएगा। स्कूलों की फीस न लौटाने के मामले में मनमानी के आरोपों पर जैन ने कहा कि अनिल देव कमिटी ने स्कूलों के खातों की जांच की थी, स्कूलों को कुछ आपत्ति थी जिसके लिए उन्होंने कमेटी और शिक्षा निदेशालय के पास आवेदन लगा रखा था। इसका जवाब उचित समय पर नहीं दिया गया जिससे स्कूलों ने पैसा लौटाना शुरू नहीं किया। जैन ने कहा कि चूंकि अब हाई कोर्ट से आदेश जारी हुआ है कि पैसा पहले वापस करें फिर आपकी बात सुनेंगे, तो सभी स्कूलों ने फीस वापस करनी शुरू कर दी है। लेकिन समस्या यह आ रही है कि जो बच्चे 2009-10 में पढ़ते थे, वो छोड़कर चले गए, किराए पर रहने वालों में से कई ने मकान बदल लिए, उनका पता कैसे लगाया जाए। जैन के मुताबिक, स्कूलों ने अखबार में विज्ञापन दिए गए हैं और नोटिस बोर्ड भी लगाया है।

हालांकि, आरसी जैन ने आरोप लगाया कि अनिल देव कमेटी ने अपने क्षेत्राधिकार का पालन नहीं किया है क्योंकि यह कमेटी यह पता लगाने के लिए बनाई गई थी कि स्कूलों को छठे वेतन आयोग को लागू करने के लिए कितनी फीस तय करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार को निजी स्कूलों का घोर विरोधी करार दिया। लेकिन, यह भी कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों का टेकओवर करने की नौबत नहीं आने दी जाएगी। इसी बीच सरकार इन निजी स्कूलों द्वारा फीस लौटाए जाने की सत्यता की जांच भी शुरू कर सकती है। सरकार जांच कर पता लगाएगी कि स्कूल सच में फीस लौटा रहे हैं या फिर केवल अदालत को गुमराह करने के लिए ऐसा दिखावा किया जा रहा है ताकि टेकओवर की नौबत से खुद को बचाया जा सके।

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