दिल्ली भाजपा में चल रही गुटबाजी पर बोले मनोज तिवारी- जो जिम्मेदारी मिली है, उसे निभा रहा हूं और आगे भी निभाऊंगा

भाजपा के विभिन्न मोर्चों के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 17 मई को हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली भाजपा के खेल आयोजनों की सराहना की और इसे देशभर में आयोजित करने का सुझाव दिया, जिसके बाद दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं। वे खेल दिल्ली खेल और यमुना चैलेंज ट्रॉफी जैसे आयोजन दोबारा करने की तैयारी में हैं। भाजपा के वोट बैंक में इजाफा करने के लिए रामलीला मैदान में पूर्वांचल मोर्चा, महिला मोर्चा, युवा मोर्चा और अनूसूचित जाति मोर्चा का सम्मेलन करने की तैयारी भी चल रही है। मनोज तिवारी के मुताबिक, चारों सम्मेलन अगले महीने से शुरू हो जाएंगे और सभी में एक-एक लाख से ज्यादा लोग शिरकत करेंगे। उन्होंने विरोधियों के इस दावे को भी गलत ठहराया कि उनके दिल्ली भाजपा अध्यक्ष बनने के बावजूद पूर्वांचल के वोट में बढ़ोतरी नहीं हुई है और भाजपा पहले की जगह पर ही खड़ी है। दिल्ली भाजपा की गुटबाजी पर कुछ भी बोलने से परहेज करते हुए तिवारी ने कहा कि यह मामला महत्त्वहीन है, पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है वे उसे निभा रहे हैं और आगे भी निभाएंगे। फिलहाल उनकी कोशिश दिल्ली में भाजपा को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि पिछले साल क्रिकेट प्रतियोगिता में दिल्ली भाजपा के सभी 280 मंडल शामिल हुए थे। इसी तरह खेल दिल्ली खेल के तहत कबड्डी, वॉलीबॉल, खो-खो और फुटबाल के आयोजन में भी बड़ी तादाद में युवा शामिल हुए। युवाओं को पार्टी से जोड़ने और उन्हें स्वस्थ बनाने में ये आयोजन बेहतर साबित हुए हैं और प्रधानमंत्री ने इन खेलों को देशभर में आयोजित करने की सलाह दी है।

दिल्ली में लगातार तीन बार निगम चुनाव जीतने के बावजूद भाजपा का वोट 35 से 37 फीसद तक सिमटने के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष का कहना था कि उनके प्रयासों और आने वाले दिनों में होने वाली रैलियों से अंदाजा लगेगा कि भाजपा कहां तक पहुंची है। तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार में काबिज आम आदमी पार्टी (आप) विधानसभा चुनाव से पहले ही खत्म सी होती जा रही है। कांग्रेस में भी अब पहले वाली बात नहीं रही है, इसलिए अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को ही जीत हासिल होगी। यह सही है कि 1993 में जब भाजपा जब सत्ता में आई थी तब उसे करीब 43 फीसद वोट मिले थे और 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भाजपा को 56 फीसद वोट हासिल हुए। इसके अलावा विधानसभा और नगर निगम में उसके वोटों में बढ़ोतरी नहीं हो पाई थी। 30 नवंबर 2016 को मनोज तिवारी को दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके अध्यक्ष बनने के बाद 2017 में जिन हालात में दिल्ली में निगम चुनाव हुए उसमें भाजपा के जीतने की कोई उम्मीद ही नहीं थी। इस चुनाव में भी भाजपा के वोट के औसत में बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन पहले की तरह गैर-भाजपा मतों का विभाजन होने से उसे जीत मिली।

भाजपा को करीब 36 फीसद, आप को 26 फीसद और कांग्रेस को 22 फीसद वोट मिले। यानी इस चुनाव में भी निर्दलीय और अन्य को 16 फीसद वोट मिले। भाजपा का वोट बैंक बढ़ाने के लिए बिहार मूल के मनोज तिवारी को दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाया। इसका उन्हें लाभ भी मिला और भाजपा के 32 पूर्वांचली उम्मीदवारों में 20 चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि उसके बाद हुए बवाना विधानसभा उपचुनाव में ‘आप’ की जीत हुई और उसके बाद से दिल्ली में कोई चुनाव नहीं हुआ। एक खास वर्ग और कुछ जातियों की पार्टी माने जाने वाली भाजपा में यह परंपरा सी बन गई थी कि पंजाबी और बनिया को अलावा कोई भी पार्टी का चेहरा नहीं बन सकता, लेकिन यह समझना जरूरी है कि दिल्ली बदल चुकी है। बिना नए वर्ग को जोड़े भाजपा सरकार में नहीं आ सकती है। दिल्ली विधानसभा की 70 में से 50 सीटें ऐसी हैं, जहां पूर्वांचली प्रवासी दस से लेकर 60 फीसद तक हैं। यही सोच कर भाजपा नेतृत्व ने मनोज तिवारी को 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल किया और चुनाव जीतकर वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली से सांसद बने। इसलिए फिलहाल मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने से भाजपा की सत्ता पाने की रही-सही उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *