दिल्ली में अन्ना हजारे फिर करेंगे आंदोलन, किसानों की बदहाली और चुनाव सुधार है मुद्दा
समाजसेवी अन्ना हजारे ने केन्द्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिये बनाये गये लोकपाल कानून को कमजोर करने का आरोप लगाया है। हजारे ने आज यहां किसानों की बदहाली और चुनाव सुधार के लिये आगामी 23 मार्च से शुरू हो रहे अपने आंदोलन की रूपरेखा बताते हुये कहा कि मोदी सरकार ने लोकपाल कानून को सख्त और प्रभावी बनाने वाले प्रावधान हटाकर इसे कमजोर किया है। हजारे ने भ्रष्टाचार से लेकर किसानों तक की तमाम राष्ट्रीय समस्याओं के लिये राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि वह अपने आंदोलन से ऐसे लोगों को दूर रखेंगे जो आंदोलन को जरिया बनाकर राजनीति में आ जाते हैं।
हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लिये बिना कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले आंदोलन के मंच का इस्तेमाल कर कोई मुख्यमंत्री बन गया तो कोई मंत्री। उन्होंने कहा ‘इस बार हमने आंदोलन में उन्हीं लोगों को साथ लिया है जो हलफनामा देकर भविष्य में किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होने की शपथ लेते हैं। अगर यह हलफनामा पहले लिया होता तो आंदोलन के मंच का इस्तेमाल करने वाले लोग मुख्यमंत्री और मंत्री न बन पाते।’
केजरीवाल द्वारा आंदोलन को धोखा देने के सवाल पर हजारे ने कहा ‘‘मैं तो फकीर हूं, फकीर को कोई क्या धोखा देगा, लेकिन यह जरूर है कि अरविंद ने आश्वासन दिया था कि वह पार्टी नहीं बनायेंगे।’’ हाल ही में राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव में केजरीवाल पर टिकट बेचने के आरोप लगने के सवाल पर हजारे ने कहा ‘‘मेरा अब उन लोगों से कोई ताल्लुक नहीं है, इसलिये मुझे उनके बारे में कुछ पता नहीं है। उनका रास्ता अलग है मेरा रास्ता अलग, ऐसे में उनके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है।
हजारे ने बताया कि 23 मार्च को वह दिल्ली में किसान पेंशन विधेयक को पारित करने और चुनाव सुधार की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा पिछले 22 सालों में लाखों किसानों ने आत्महत्या की है। आज की सरकार उद्योगपतियों की चिंता करती है, किसानों की नहीं। इसीलिये कभी किसी उद्योगपति को आत्महत्या करने की नौबत नहीं आयी।