दिल्ली मेरी दिल्ली- यह भी है राजनीति

यह भी है राजनीति
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के तीन साल होने वाले हैं और एक बड़े चुनाव की आहट सुनाई देने लगी। संसदीय सचिव बन कर अपनी सदस्यता गंवाने वाले बीस विधायकों की सीट पर उपचुनाव होने की संभावना बढ़ गई है। ‘आप’ ने राष्ट्रपति के फैसले को अदालत में चुनौती दी है, साथ ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी पार्टी उपचुनावों के लिए तैयार है। बीकी बातों पर तो बहस हो सकती है लेकिन इस मामले में सिसोदिया सही हैं कि उनकी पार्टी उपचुनाव के लिए तैयार है। वास्तव में ‘आप’ अनोखी पार्टी है जो सरकार में आने के बाद भी हर समय चुनाव मोड में रही है। पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत हर नेता इसी अंदाज में बयान देते रहते हैं जैसे कल किसी चुनाव की घोषणा होनी हो। अभी दिल्ली का माहौल चुनाव वाला बन गया है, इसलिए दूसरे दल भी अपनी तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन ‘आप’ के नेता तो पहले से ही तैयार बैठे हैं। संभव है, उन्हें इसका आभास हो। लेकिन वैसे भी उनकी राजनीति करने का तरीका दूसरों से इस मामले में तो अलग है ही।
टिकट और पैसे का टोटा
दिल्ली में विधानसभा की बीस सीटों के उपचुनाव की घोषणा होने से पहले ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन जिन ‘आप’ विधायकों की सदस्यता खत्म करके चुनाव होंगे उनकी परेशानी बढ़ गई है। यह आम चर्चा है कि पार्टी सभी बीस लोगों को टिकट नहीं देगी। अगर ऐसा है तो पहले सभी टिकट पाने में लगेंगे। संकट उसके बाद भी है। 2015 का चुनाव तो अलग मुद्दों पर लड़ा गया था। चुनाव में उम्मीदवारों ने भी पैसे खर्च किए लेकिन कांग्रेस भाजपा के मुकाबले कुछ ही सीटों पर ‘आप’ उम्मीदवारों ने ज्यादा खर्च किए होंगे। अब हालात बदल गए हैं। चुनाव पार्टी के साथ-साथ उम्मीदवार के नाम पर भी लड़े जाएंगे। ऐसे में सभी प्रमुख उम्मीदवारों को भरपूर पैसा लगाना होगा। ऐसे में कई विधायकों को उपचुनाव लड़ने के नाम पर अभी से पसीने आने लगे हैं।
बंद भी और खुली भी
हां भी और न भी! दुकान बंद भी करेंगे और सामान भी बेचेंगे! दरअसल सीलिंग के खिलाफ व्यापारियों की हड़ताल के समय बीते दिनों चांदनी चौक की कुछ दुकानों पर यह बात सटीक बैठी। दुकान वाली मुख्य गली पर हड़ताल में बंदी के पोस्टर बैनर टांगे गए थे तो अंदर कुछ धंधे में भी व्यस्त थे। बाजार बंद था। लेकिन कुछ लोगों ने खरीदारी की। पोल तब खुली जब साड़ियों के बंडल लेकर कुछ महिलाएं मेट्रो स्टेशन की ओर आर्इं। बंद के कार्यकर्ताओं ने पूछा कि सामान कहां से खरीदा? जवाब जैसे मिला, कुछ लोग उस दुकान की ओर भागे जिसका पता महिलाओं ने बताया था। पता चला ‘जनहित’ में सामान दे दिए गए थे वास्तव में दुकान बंद है। किसी ने ठीक ही कहा-यदि बंद के पक्षकार नहीं जागते तो कथित ‘जनहित’ का काम देर शाम तक चलता रहता! एक ने कहा- ऐसी ही जनहित करते रहें तो सीलिंग न रुकने वाली!
सत्रह मिनट का अभियान
पोलियो उन्मूलन के लिए चल रहा अभियान आरडब्लूए के निशाने पर आ रहा है। रविवार को एएनएम ने सेक्टर-100 आरडब्लूए अध्यक्ष पवन यादव को 3 बजे टीम के पहुंचने की सूचना दी थी। आरडब्लूए अध्यक्ष के मुताबिक टीम 3:18 बजे पहुंची और महज 17 मिनट बाद यानी 3:35 बजे केवल 4-5 बच्चे को दवा पिलाकर चली गई। तय कार्यक्रम के तहत टीम को सेक्टर में एक घंटे यानी 4 बजे तक रुकना था। पोलियो टीम के जाने के बाद पहुंचे काफी संख्या में बच्चे बगैर दवा पिए रह गए। पोलियो अभियान का महज दिखावा करने का आरोप लगाते हुए उन्मूलन अभियान की सार्थकता पर सवाल उठे हैं। आरोप है कि टीम आरडब्लूए या सोसायटी के गेट की महज फोटो खींचकर वाट्सऐप कर अपना काम खत्म मान लेती है।
अस्पताल का तर्क
दिल्ली के दूसरे नंबर के अस्पताल सफदरजंग में इन दिनों कुत्तों का आतंक फैला है। कुत्ते मरीजों और उनके तिमारदारों को निशाना बना रहे हैं। वहीं समस्या हल करने के बजाए अस्पताल की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि उसके पास कुत्ते के काटने की दवा हमेशा निशुल्क उपलब्ध है। कुछ दिन पहले बेदिल को एक तीमारदार ने बताया कि वे रात में अस्पताल की कैंटीन से खाना खाने के बाद वापस अपनी बूढ़ी सास को देखने वार्ड में जा रहे थे, तभी पीछे से एक कुत्ते ने उनके पैर में दांत गड़ा दिए। पीड़ित ने बताया कि कुत्ते के काटने के बाद जब उन्होंने एक सुरक्षा अधिकारी से इसकी शिकायत की तो जवाब मिला, ‘साहब घबराएं नहीं, इस अस्पताल में कुत्ते के काटने की दवा हमेशा निशुल्क उपलब्ध है और आप भी तुरंत सुई (इंजेक्शन) लेकर इलाज शुरू कर दें।’ अधिकारी के इस जवाब से पीड़ित मन मसोस कर रह गए।

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