दिल्ली: रानी खेड़ा में कूड़ा डालने पहुंचे ट्रकों के विरोध में टेंट लगाकर धरने पर बैठे ग्रामीण

पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कचरा फेंकने पर लगी रोक के बाद यहां का कूड़ा लेकर बाहरी दिल्ली के रानी खेड़ा में डालने पहुंचे ट्रकों का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया। लोगों ने टेंट लगाकर वहां धरना देना शुरू कर दिया है और उनका कहना है कि एक जगह का कचरा दूसरी जगह डालने के आदेश का क्या औचित्य है। अब निगम और सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह लोगों के विरोध का मुकाबला किस तरह करे। वहीं इस मसले को लेकर उत्तरी दिल्ली नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल रविवार को उपराज्यपाल से मिलीं और हफ्ते भर के अंदर स्थाई समाधान निकालने की मांग की।

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर शुक्रवार दोपहर हुए हादसे में एक महिला समेत दो लोगों की मौत के बाद वहां गैर-कानूनी रूप से लगातार कूड़ा डालने पर सवाल उठने लगे, तो रविवार को पूर्वी नगर निगम के पचास से ज्यादा ट्रक कूड़ा और मरे हुए मवेशियों के अवशेष लेकर बाहरी दिल्ली के रानी खेड़ा आ गए। सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने यहां कूड़ा डालने का विरोध शुरू कर दिया और वहीं पर टेंट लगाकर धरना देना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्वी दिल्ली से उत्तर-पश्चिम की ओर कचरा लाया जाना प्रदूषण को बढ़ावा देने के सिवा कुछ नहीं है। जन आवाज विकास मंच के बैनर तले शुरू हुए धरना प्रदर्शन में शामिल स्थानीय लोग अपने विरोध को तेज करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

इस विरोध के बाद पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लिए कचरा निस्तारण की जगह की तलाश बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि जहां भी कचरा स्थल बनेगा वहां ऐसी समस्याएं जरूर आएंगी। नगर निगम ने कूड़े के निस्तारण और रीसाइकिलिंग की व्यवस्था करने का जो दावा किया है वह भी खोखला साबित हो रहा है। बवाना में एक छोटा सा कचरा संयंत्र जरूर लगाया गया है, जहां कूड़े से बिजली बनाने की बात कही गई, लेकिन दिल्ली में निकलने वाले सैकड़ों टन कूड़े के लिए यह नाकाफी है। इसके अलावा गाजीपुर और भलस्वा जैसे कचरा स्थल अब कूड़े के पहाड़ में तब्दील हो चुके हैं। इनसे मीथेन गैस निकलती है और धमाके भी होते हैं।गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ ढहने से हुई दो लोगों की मौत के बाद निगम हरकत में आया।

रविवार को निगम के 50 ट्रक कूड़ा लेकर पूर्वी दिल्ली से सीधे पश्चिमी सिरे पर मुंडका विधानसभा के रानी खेड़ा गांव पहुंचे, तो ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया। ग्रामीणों के पहुंचने से पहले दो ट्रक खाली हो चुके थे, जबकि बाकी ट्रकों को लौटा दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यहां खेती होती है और कूड़ा डालने से इलाके की हरियाली बर्बाद हो जाएगी। आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक भी लोगों के साथ धरने में शामिल रहे। उधर, रविवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात कर रानी खेड़ा में कूड़ा डालने के मुद्दे पर चर्चा की। मेयर ने कहा कि उपराज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि यह व्यवस्था अभी अस्थायी है, जिसका एक हफ्ते में स्थायी हल निकाल लिया जाएगा।

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