दिल्ली विश्वविद्यालय: नोटा ने किया कद छोटा, 29,765 नोटा बटन का हुआ

डूसू चुनाव में इस बार नोटा ने छात्र संगठनों का समीकरण बिगाड़ दिया। राजनीति से नाराज होकर छात्रों ने इस चुनाव में जमकर नोटा का बटन दबाया है। बीते साल ही पहली बार डूसू चुनाव में नोटा बटन को शामिल किया गया था। बीते साल ही 17,712 मतदाता ऐसे थे जिन्हें अपना उम्मीदवार पसंद नहीं आया। बीते साल मुख्य चार पदों में नोटा की हिस्सेदारी 6.3 फीसद से 12.6 फीसद के बीच रही थी। डूसू चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा 29,765 नोटा बटन का इस्तेमाल हुआ। यह आइसा को चारों सीटों पर मिले मतों से भी ज्यादा है।

आइसा को चारों सीटों पर 29,354 वोट मिले हैं। नोटा बटन दबाने से एबीवीपी व एनएसयूआइ के साथ आइसा को भी नुकसान हुआ। इस कारण से काफी वोट कटे। अध्यक्ष पद पर 5162 नोटा बटन दबा जबकि आइसा की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार को 4895 वोट मिले। वहीं उपाध्यक्ष पद पर 7684 नोटा बटन दबाया गया। हालांकि इस पद पर आइसा को नोटा से थोड़े ज्यादा 7765 वोट मिले हैं। नोटा ने यह साबित किया कि छात्र कैंपस वोट देने तो आए लेकिन उन्होंने किसी भी संगठन को वोट देना मुनासिब नहीं समझा। सचिव पद के लिए 7891 नोटा बटन दबाया गया।

मतगणना भी रही दिलचस्प
डूसू चुनाव के जरिए दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक बार फिर हवा का रुख बदल दिया। डीयू ने अध्यक्ष पद पर एनएसयूआइ के उम्मीदवार रॉकी तुसीद का पर्चा रद्द कर दिया था। लेकिन हाई कोर्ट ने फैसले को पलट दिया और एनएसयूआइ के रॉकी को डूसू चुनाव लड़ने की अनुमति दी। अदालत के फैसले ने एनएसयूआइ को मानो एक कवच दे दिया था। बहरहाल, नतीजों की तरह मतगणना भी दिलचस्प रही। डूसू चुनाव में पारदर्शिता लाने के लिए इस बार कैंपस में एक बड़ी स्क्रीन की व्यवस्था की गई थी।

उम्मीदवार और उनके समर्थक स्क्रीन से ही चुनाव की मतगणना को देख पा रहे थे। सह सचिव के पद की मतगणना दोबारा कराने की मांग कर रहे छात्रों पर पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा है। एनएसयूआइ के छात्र काफी देर से सह सचिव के पद की मतगणना दोबारा कराए जाने की मांग को लेकर परिसर के गेट पर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने छात्रों को समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्रों ने प्रदर्शन जारी रखा और प्रवेश द्वार को जाम कर दिया। जब छात्र अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए तो पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर गेट को खाली करा दिया।

राहुल का भाषण छात्रों को पसंद आया इसलिए जीती एनएसयूआइ : माकन

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआइ की जीत से यह साबित होता है कि युवाओं ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के 12 सितंबर को बरकले यूनिवर्सिटी में दिए गए भाषण को स्वीकार किया है और 11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए भाषण को नकार दिया। अजय माकन ने एनएसयूआइ के डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रॉकी तुसीद तथा उपाध्यक्ष पद पर कुणाल सहरावत को विजयी होने पर बधाई दी।

 प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के साथ मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी भी मौजूद थे। अजय माकन ने कहा कि छात्र संघ चुनाव में भाजपा व भाजपा शासित केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर दखल देकर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव शुक्रवार या शनिवार को न होकर मंगलवार को कराए गए क्योंकि 11 सितंबर को नरेंद्र मोदी के स्वामी विवेकानंद को लेकर किए गए भाषण को भारत के सभी विश्वविद्यालयों में प्रसारित करके दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की।

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